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Sunday, December 30, 2007

नव वर्ष की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाऐं.

मित्रों एक और नया वर्ष, एक और नय़ा साल संघर्षों का, एक और नय़ा साल उम्मीदों का, एक और नय़ा साल नई सोच बनाने का। इस नये साल में आगाज़ है,क्रांति का आगाज़ है,स्वाभिमान का आगाज़ है,चेतना का आगाज़ है,विश्वास का आगाज़ है,सत्य का आगाज़ है,अनवरत संघर्ष का आगाज़ है उस इंकलाब का, जो ऐसे भारत का नव निर्माण करेगा जिसमें योग्यता पैमाना होगी, संवेदनाओं भावनाओं का निस्वार्थ समर्पण होगा, राष्ट्र के जातिहीन,अधर्म ऱहित, विकास के लिए । और क्रांति की, बागडोर होगी, नवयुग के नव निर्माता, जातिहीन,स्वार्थ हीन द्वेष ऱहित, छात्रों के हाथ और नारा होगा इंकलाब । इस आगाज़ के साथ एक नये समाज की कल्पना संजोते हुए, अपनी एक और गज़ल को, अपने आदर्श दुष्यंत कुमार जी त्यागी को, आज उनकी पुण्यतिथि पर समर्पित करते हुए आप सभी को एक बार फिर से नव वर्ष की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाऐं । भाई मैं चाहता हूं आदमी कुछ इस कदर बदले, दर्द हो मंदिर में आंसू मस्जिद से निकले । बहुत कह चुके,अब बंद भी करो,हम एक दूसरे के बारे में, अब जब भी निकले मुँह से हमारे प्रेम के बोल निकलें । पहले कभी वो तेरी ईद,अपनी दिवाली की तरह मनाता था, कुछ कर ऐसा,उसकी हर दिवाली तेरी बारावफात सी निकले । उसकी हर आह पे तुझे भी होता था दर्द कभी, ला ऐसा वक्त उसकी गोदी में तेरा दम निकले । इतजा़र में हूँ उस वक्त के जब प्रेम और अमन की हवा बहेगी, तेरा और मेरा खुदा एक है हर तरफ यही आवाज़ निकले । बहुत खून की नदियाँ बहा ली,एक दूसरे की,अब दुआ करो, तेरे मुहब्बत के काबा से मेरे प्रेम की गंगा निकले । हमारे बीच कभी कितना प्रेम हुआ करता था,करें हम नई कोशिश, ये नया साल हमारी दोस्ती की नयी मिसाल बनकर निकले । आपका अनुराग अमिताभ

4 comments:

Reetesh Gupta said...

बहुत अच्छी लगी आपका आगाज़ और ग़जल..

नये साल की शुभकामनायें...बधाई

Smriti Dubey said...

सर,
आपकी ग़ज़ल भाई में आपने जिस तरह धर्म के मर्म और सरहदों के नाम पर हो रही राजनीति को बयां किया है वो काबिलेतारीफ़ है।

मैं चाहता हूं आदमी कुछ इस कदर बदले,
दर्द हो मंदिर में आंसू मस्जिद से निकले ।
ऐसा जिस दिन हो जाएगा उस दिन वाकेई हम नये वर्ष का आगाज़ हर्ष के साथ कर पाएंगे।
तब वो आगाज़ होगा इंकलाब का।
जो आपने आगाज़ में बयां किया है।

rajnish said...

प्रिय अनुराग भाई, सर्वप्रथम आपको नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएं। नववर्ष आपको और आपके परिवार के लिए नई खुशियॉ और समृद्धि लायें ।
आगाज़ आपका हो चुका है अंजाम तक भी आपको पहुँचाना हैं। उपर वाले में आस्था और खुद पर विश्वास रखना । गाड़ी झमाझम जा रही है ।

Unknown said...

Happy New Year!!!!!!!

Good to c u pen-ing again. Ur writings are, as ever fabulous, simply marvolous. Write more good deeds.
Garima

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