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Saturday, April 23, 2011

ये ख़ामोशी के राज हम जानतेहैं यूँ चुप रहने के अंदाज हम जानते हैं, यकीन नहीं आता तो अपने दिल से पूछ लो आप से बेहतर आप को हम जानते हैं। ------ एक एसएमएस राजू ग्रोवर का।

Monday, April 18, 2011

आज कुछ समय पहले ही पता लगा कि फेसबुक पर भी कुछ लोगों का एक ग्रुप है। इस ग्रुप को वह इन्सान पसंद नहीं आता जो इनके लिखे पर आलोचनात्मक टिप्पणी करे। इनमे से एक साहब ने फोन करके अपनी इस भावना से अवगत भी करवाया। ये चाहते थे कि मैं { माफ़ी, मैं लिखने के लिए} वही लिखूं जिसको वो पसंद करे। या जिसको पढ़ कर वे खुश हो जाएं। फेसबुक पर सब लोग अपने भाव लिखते हैं। शब्द,फोटो,वीडियो,टिप्पणी भाव व्यक्त करने का तरीका है। एक पोस्ट पर टिप्पणी की तो उनको पसंद नहीं आई। जबकि मैंने साथ में लिखा था, सॉरी। मैंने अपनी बात कही तो उनको बुरा लगा। अगर आप अपनी या अपने ग्रुप वाले किसी दोस्त की पोस्ट पर आलोचनात्मक टिप्पणी हजम नहीं कर सकते तो फिर ऐसी जगह पर लिखते ही क्यों हैं? मेरे भाव का मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं होता। लेकिन यह भी संभव नहीं कि वही लिखा जाये जो उनको पसंद हो। अब मुझे कुछ पसंद नहीं तो इसका ये मतलब नहीं कि मैं फोन करके लिखने वाले से सवाल जवाब करूँ। चलो इसी बहाने लोगों के असली चेहरे तो सामने आये। क्योंकि फेसबुक पर जो थे वे कुछ और थे। आलोचना ना सहन करने वाले निंदा भी गाली देने की स्टाइल में करते हैं। भगवान मुझे हिम्मत देना ऐसे लोगों के फोन सुनने की और फेसबुक पर इनकी गालियाँ पढने की।

Saturday, April 16, 2011

यूसुफ़ अन्सारी को ड़ॉ. अम्बेड़कर सम्मान

मुम्बई। अम्बेड़कर जयन्ती के मौके पर गुरुवार की रात मुम्बई मे आयोजित एक भव्य समारोह में देश के जाने-माने टीवी पत्रकार यूसुफ़ अन्सारी, फिल्म अभिनेता धमेन्द्र, और अभिनेत्री एंव सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आज़मी को ड़ॉ. भीमराव अम्बेड़कर अवार्ड़ से सम्मानित किया गया। इनके अलावा कई फिल्मी कलाकारों को अलग-अलग श्रेणी मे अवार्ड़ से नवाज़ा गया।

मुम्बई मे गुरुवार की शाम ड़ॉ. अम्बेड़कर के नाम रही। महानगर के शमुखानन्द चन्द्रशेखर नरेन्द्र सरस्वती ऑडिटोरियम मे मशहूर बॉलीवुड़ पत्रिका पेज3 और महाराजा यशवंत राव होलकर प्रतिष्ठान ने ड़ॉ.भीवराव अम्बेड़कर सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस भव्य समारोह मे देश की कई जानी मानी हस्तियां शामिल हुई। देश के जाने-माने टीवी पत्रकार एंव राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ़ अन्सारी को अपनी ख़बरों और लेखों में समाज के पिछड़े, अतिपिछड़े, दबे, कुचले और निरक्षर वर्ग की आवाज़ उठाने के लिये इस प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया। दिल्ली से पुरुस्कार ग्रहण करने मुम्बई आये वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ़ अन्सारी ने कहा कि वो ये पुरुस्कार पाकर काफी उत्साहित हैं। उनका कहना था कि बाबा साहेब से ही उन्हे निचले तबके की आवाज़ उठाने की प्रेरणा मिली थी और वे तब तक ये काम करते रहेंगें जब तक सबसे पिछड़ा तबका समाज के मजबूत तबकों के बराबर आकर ना खड़ा हो जाये। उन्होने कहा कि बाबा साहेब के नाम पर सम्मान मिलना उनके लिये गर्व की बात है।

इस मौके पर जाने-माने फिल्म अभिनेता धमेन्द्र को बॉलीवुड़ मे उनके सराहनीय योगदान के लिये लाइफटाईम अचीवमेन्ट अवार्ड़ से नवाज़ा गया। साथ ही मशहूर अभिनेत्री एंव सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आज़मी को सोशलवर्क में उनके सराहनीय योगदान के लिये इस पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। दोनों कलाकारों ने आयोजकों की सरहाना करते हुये बाबा साहेब के बताये मार्ग का अनुसरण करने की बात कही। इनके अलावा इस मौके पर मशहूर गायिका आशा भौंसले, फिल्म अभिनेता विवेक ओबरॉय, गायिका अनुराधा पौड़वाल, गायक उदित नारायण, अभिनेत्री सलमा आगा, टीवी कलाकार अन्जन श्रीवास्तव, फिल्मकार इकबाल दुर्रानी और महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अनीस अहमद को भी सम्मानित किया गया।

Friday, April 15, 2011

" कृपया यहाँ अपना ज्ञान मत बांटोयहाँ सब के सब ज्ञानी है। " अरे! अरे! गुस्सा मत करोये मेरा किया धरा नहीं हैमैंने कहीं पढ़ायहाँ छाप दियावैसे सुना है कि ज्ञान तो बांटने से बढ़ता हैपर..... ज्ञानियों में ज्ञान बाँटना......... । चुप्प रहना ही सेहत के लिए ठीक है

Wednesday, April 13, 2011

श्रीगंगानगर में दो पुलिस वालों को मुलजिम पकड़ने पर सम्मानित किया एस पी ने। .... समझ नहीं आया कि इन्होने तो वही किया जो इनका काम है। फिर ये सम्मान किस बात का। ........ हाँ , आजकल पुलिस मुलजिम पकड़ती नहीं ना!

Tuesday, April 12, 2011

जब कोई छोटा बड़ा सपना हकीकत बन कर सामने जाता है तब अपनों पर निगाह कम ही पड़ती हैविश्वास नहीं तो आस पास देख लो

Saturday, April 9, 2011

--- चुटकी--- पता नहीं क्या बात हुई हुजूर, सबके नेता रहे, हमारे अन्ना से दूर

हिन्दूस्तान में अन्ना हजारे के पक्ष में चली आंधी से सरकार थोड़ी डगमगाई। आज वह हो जायेगा जो अन्ना चाहते हैं। इस आन्दोलन से जुड़े लोग खुशियाँ मनाएंगे। एक दो दिन में अन्ना को भूल कर आई पी एल में खो जायेंगे। यही होता आया है इस देश में। आजादी मिली। हम सोचने लगे ,अब सब अपने आप ठीक हो जायेगा। क्या हुआ? कई दश पहले " हाय महंगाई..हाय महंगाई " वाला गीत आज भी सटीक है। गोपी फिल्म का गाना " चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भगत निर्धन होंगे...जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जायेगा..... " देश के वर्तमान हालत की तस्वीर बयान करता है। लोकतंत्र। कहने मात्र से लोकतंत्र नहीं आ जाता। देखने में तो भारत में जनता की,जनता के लिए जनता द्वारा चुनी हुई सरकारे ही आई हैं। किन्तु लोकतंत्र नहीं आया। भैंस बेशक किसी की रही मगर लेकर वही गया जिसके हाथ में लाठी थी। कहीं ऐसा ही हाल इस आन्दोलन का ना हो जाये। इसलिए अन्ना हजारे के आन्दोलन से जुड़े हर आदमी को सजग ,सचेत रहना है। जो कुछ चार दिनों में जंतर,मंतर पर हुआ उसका डर सरकार को बना रहे। मकसद जन लोकपाल विधेयक नहीं ,करप्शन मुक्त भारत है। विधेयक पहली सीढ़ी है। इसके बन जाने से ही करप्शन ख़तम नहीं हो गया। होगा भी नहीं। अभी तो केवल शुरुआत है। देश में माहौल बना है। आम आदमी के अन्दर करप्शन के प्रति विरोध,आक्रोश मुखर हुआ है। वह सड़क पर उतरा है। यह सब कुछ बना रहना चाहिए। बस यह चिंगारी बुझे नहीं। ऊपर राख दिखे तो दिखे। कुरेदो तो चिंगारी नजर आनी चाहिए जो फूंक मारते ही शोला बन जाने का जज्बा अपने अन्दर समेटे हो, सहेजे हो। वरना सब कुछ जीरो।

Thursday, April 7, 2011

वर्ल्ड कप से बढ़कर है अन्ना हजारे का आन्दोलन

हिन्दूस्तान के १२१ करोड़ लोगों में से उन को छोड़ दो जिनको किसी बात की समझ नहीं हैइनमे बच्चे और वे इन्सान शामिल हैं जिन्हें अपने अलावा किसी से कोई मतलब नहींइसके बाद जो बचे उन्होंने क्रिकेट के लिए अपना बहुत समय दियाभारत वर्ल्ड कप जीते , ये प्रार्थना कीजीतने के बाद खुशियाँ मनाईपटाखे छोड़ेमिठाइयाँ बांटीसड़कों पर डांस कियादेर रात तक ख़ुशी से किलकारियां मारते हुए हुए गलियों में घूमेदूसरे दिन तक यही सब कुछ चलता रहाचलना भी चाहिए थासब के भाव थेभारत की इज्जत का सवाल थाकप ना मिलता तो संसार में नाक कट जातीपूरा देश एक हो गयाभारत अखंड नजर आने लगागली,सड़क, छोटे से कौने से भी यही आवाज सुने दी"विजयी भव "। ये कोई स्थाई नहींआज कप हमारे पास हैकल किसी और का होगाकल,मतलब कुछ दिन पहले तक किसी अन्य का थाकिन्तु हिन्दूस्तान था,है और रहेगाकप उतना मान सम्मान हिन्दूस्तान दुनियां में नहीं दिला सकता जितनी ईमानदारी, सच्चाई,मजबूती दिला सकती हैयह सब पाने के लिए भी मैच हो रहा हैअफ़सोस कि इसमें किसी अन्य देश कि टीम नहींदोनों तरफ अपने ही हैंएक तरफ हैं सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे और दूसरी ओर भ्रष्ट सिस्टमउसके चलाने वाले नेता,अफसरअन्ना हजारे के साथ देश के हर कौने से हर वर्ग जुड़ रहा हैलोग दिल्ली के जंतर मंतर पहुँच रहे हैंजो नहीं जा पा रहे वे अपने स्तर अन्ना के साथ खड़े दिखते हैं। " हम अन्ना के साथ हैंआप ! अगर आप भी साथ हैं तो ये सन्देश दूर तक भेजोक्योंकि भारत को महान बनाना है। " ये एस एम एस बड़ी संख्या में भेजे जा रहे हैं आगे से आगे, बहुत दूर तकब्लॉग हो या फेसबुकअन्ना के समर्थन में भरे पड़ें हैंहर कोई अन्ना की ही बात कर रहा हैकोई उनसे मिला नहीं लेकिन उनके साथ हैंकिसी को कोई व्यक्तिगत फायदा होने वाला नहीं ,परन्तु अनेकानेक जागरूक जेब से पैसा खर्च कर अभियान के साथ जुड़े हुए हैंइनको अन्ना हजारे या उनके किसी सहयोगी ने ऐसा करने को नहीं कहाइन पर किसी का किसी किस्म के दवाब का भी सवाल नहीं हैफिर भी लागे हैं देश को करप्शन से मुक्त करवाने के अभियान में अन्ना हजारे के साथक्रिकेट की बात पुरानी हो गईअब हर न्यूज़ चैनल पर अन्ना हजारे उनका आन्दोलन हैमहात्मा गाँधी के अनशन के बारे में केवल सुना थासुना कि किस प्रकार गाँधी के अनशन से सरकार हिल जाती थीजन जन गाँधी की भाषा बोलने लगताआज इसको देख लियाकोई फर्क नहींसब कुछ वैसा ही है बस पात्र बदल गएतब देश को विदेशियों से आजाद करवाना थाआज उन अपनों से जो कण कण में करप्शन चाहते हैंइस आजादी के बिना वो आजादी बेकार हो रही है,अधूरी है जिसके लिए गाँधी जी ने अनशन किया थाअगर तब गाँधी जी जरुरी थे तो आज अन्ना हजारे उनसे भी अधिक जरुरी हैंक्योंकि जो पूरा नहीं वह किस काम का
सबको प्यारे अन्ना हजारे। ---- अन्ना हजारे के समर्थन में कल श्रीगंगानगर में धरना दिया जायेगा। समय रहेगा सुबह ११ बजे।

Sunday, April 3, 2011

श्रीगंगानगर-अब ठीक है। बेक़रार दिल को सुकून मिल गया। मन प्रसन्न है। आत्मा ख़ुशी के तराने गा रही है। हिन्दूस्तान क्रिकेट का बादशाह बन गया। सब चिंताएं समाप्त। कोई परेशानी नहीं। देश में क्रांति होगी। कप आ गया अब जो आपके सपने हैं सब पूरे हुए समझो। घोटाले नहीं होंगे। जो हो चुके उनके पैसे सरकारी खजाने में आ जायेंगे। नेता ईमानदार हो जायेंगे। करप्शन इतिहास बन जायेगा। देश में कानून का राज होगा। कानून भी सब के लिए बराबर। जाति,धर्म,अमीर,गरीब देख कर कोई भेद भाव नहीं। मंत्री भी सरकारी कर्मचारी,अफसर की तरह दफ्तरों में बैठेंगे। वे भी तो वेतन लेते हैं। जनता के काम कर्मचारी,अधिकारी,मंत्री अपना काम समझ कर तुरंत करेंगे। अब फैसले नहीं न्याय होगा। पीड़ित को न्याय के लिए इंतजार नहीं करना होगा। वह खुद उसकी चौखट पर आएगा। पुलिस दादागिरी छोड़कर प्रताड़ित का साथ देगी। खुद किसी को तंग परेशान नहीं करेगी। अपराधियों से अपनी मित्रता तोड़ देगी। सज्जन लोगों का साथ करेगी। थानों में सुनवाई होगी। ऊपर की कमाई नहीं होगी। फरियादी को भटकना नहीं पड़ेगा। नेता जनता के प्रति जवाबदेह होंगे। चुनाव में भले आदमी खड़े होंगे। कई भले लोगों में से सबसे भले को चुनना होगा। नगर पालिका से लेकर संसद तक में जनता के लिए काम होगा। हल्ला-गुल्ला,लड़ाई झगडा,मार-पीट, गाली-गलौच बिलकुल बंद। संवेदनशील अफसर फिल्ड में लगेंगे। काम के लिए सिफारिश की जरुरत ख़तम। सरकारी अस्पतालों में इलाज होगा। सभी उपकरण एकदम ठीक काम करके सही रिपोर्ट देंगे। दवाई सस्ती होगी। जेलों में सालों से बंद पड़े बंदियों की सुनवाई होगी। रसोई का सामान सस्ता होगा । भिखारी नहीं रहेंगी। सबको योग्यता के हिसाब से काम मिलेगा। कोई भूखा नहीं सोयेगा। सब के तन पर कपडे होंगे। बेघर के घर अपने होंगे। काला धन सब देश में आ जायेगा। वह देश,जनता की उन्नति के लिए खर्च होगा। हमारा प्रधानमंत्री मजबूर नहीं होगा। अफजल,कसाब को फंसी होगी। जम्मू-कश्मीर सच में हमारा होगा। जैसे बाकी राज्य। टैलेंट की कद्र होगी। आरक्षण नहीं रहेगा। न्यूज चैनलों पर खबर दिखाई जाएगी। कलयुग सतयुग में बदल जायेगा। दूध दही की नदियाँ बहने लगेगी।देश की सभी समस्याओं का अंत तुरंत हो जायेगा। अमेरिका की हुकूमत हिन्दूस्तान पर नहीं चलेगी। दुनिया हमारे इशारे पर चलेगी। क्योंकि हम विश्व विजेता हैं क्रिकेट के। क्या बकवास करते हो? ऐसा कुछ नहीं होने वाला! क्यों? किसने कहा? ना जाने किस किस बात से दुखी, हैरान,परेशान करोड़ों लोग रात भर से ख़ुशी में सराबोर होकर बेवजह थोड़ी नाच रहे हैं। माता पिता के जन्म दिन पर उनको बधाई दी हो या नहीं मगर अब जाने अनजाने सबको मुबारक बाद दे रहे हैं। जब सब खुश हैं। सभी में उमंग है। बधाई दे ले रहे हैं। मिठाइयाँ बाँट रही है। पटाखे चल रहे हैं। सभी छोटे बड़ों के चेहरों पर मुस्कान है। और तुम कह रहो हो कि वर्ल्ड कप जीतने के बावजूद जनता की किसी भी परेशानी, दुःख,तकलीफ पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। वे सब की सब हमारी नियति है। हमारी तक़दीर है। इनको तो भोगना ही है। हम तो वर्ल्ड कप के बहाने कुछ क्षण के लिए इनको भूलना चाहते हैं इसलिए ख़ुशी दिखाकर अन्दर के दर्द छिपा रहे हैं। सच्चाई सबको पता है।

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