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Wednesday, December 12, 2007

रिश्ते और आधुनिकता ?

मैं यह विचार तुलिका द्वारा लिखे गए लेख पर दे रहा हूँ । मैं आधुनिकता शब्द से शुरू कर रहा हूँ । आधुनिकता का अर्थ होता है कि हमारा विचार , रहन -सहन , हमारी सोच , आदि उच्च स्तर की हो । आज हमारा समाज अपनेआप को आधुनिक होने का दंभ भर रहा है । भौतिक साधनों का जो जितना उपभोग कर रहा है वह व्यक्ति उतना ही आधुनिक कहला रहा है । लेकिन ऐसा नही है । आज लोगों के बिच संचार नही हो पा रहा है , दूरियां बढाती जा रही हैं , सोच संकीर्ण होते जा रहें हैं , रिश्तों की मिठास पैसे तय कर रहे हैं , लोगों का जीवन एकाकी होता जा रहा है , रिस्तें विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं ? यह हमारे समाज का संक्रमण काल चल रहा है । मानसिक , आर्थिक , शारीरिक , व्यवहारिक रुप से व्यक्ति बदलाव के संक्रमण से संक्रमित होता जा रहा है । तुलिका जी आपके प्रश्न का उत्तर यही है कि हमारा समाज जितना आधुनिक दिखने की कोशिश कर रहा है यदि उतना ही प्रयास अपनी मानसिकता को आधुनिक बनने में करता तो सायद पुलिस , न्यायालय या किसी तीसरे पक्ष को किसी के जातीय मामले में दखल देने की जरूरत नही पड़ती । अच्छा यही होगा की हम भौतिक रुप से आधुनिक बनने के वजाय मानसिक रुप से आधुनिक बने तब जाकर हम जिंदगी को जी सकेंगे , हमें रिश्तों को ढोना नही पड़ेगा , ख़ुशी -ख़ुशी जीवन व्यतीत हो जाएगा , रिश्तों पर विश्वास करने के लिए किसी पैमाने की जरूरत नही पड़ेगी ।

2 comments:

मीनाक्षी said...

बहुत बारीकी से आपने आधुनिकता का अर्थ समझा दिया. सच है जब तक मानसिकता आधुनिक नहीं होगी... दिखने से लाभ नही हानि ही होगी.

satyandra yadav said...

thanks to comment.....
if we think to change our country or society or anythings els, we can . people don't want to change ourself. it's a big problem of my society or country. first of all we have to think and then do.......

satyandra yadav

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