Tuesday, December 4, 2007
नारी शक्ति
औरत कोमल है ,कमज़ोर नहीं,
तुम इस पर जुल्म न करना।
औरों की खातिर होता है ,
इसका जीना औऱ मरना ।
इसको अबला तुम मत समझो,
क्या पता बला कब बन जाएं ।
जिन आंखो से चाहत बरसे ,
वह कयामत बरसायें।
ये अपनी पहचान है खुद,
तुम इस पर वार न करना ।
औरों की खातिर होता है,
इसका जीना और मरना।
ये ममता की एक मुरत है ,
हैं प्यार जंहा रहती है वहीं।
एक जन्नत और है दुनियां में ,
जो मर्द के पहलू में है नहीं।
इसके ही हाथों होता है,
हर एक राह संवारना।
औरो की खातिर होता हैं,
इसका जीना और मरना।
तुलिका सिंह सीएनइबी
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10 comments:
bhut he payari rachna hai..
good one
hi tuli !
garima here. ur aradhana's roommate. just gonna thru ur poem on NAARI. really gd one . do keep writing.
lookin forward to read from u more.
take care & enjoy.
hi.....tuli
bhut badiya, payari vuchar hai
what a sentimental poetary worth praising .Full Marks to the writter.
Dr. Mukesh Raghav
what a sentimental poetary worth praising .Full Marks to the writter.
Dr. Mukesh Raghav
great
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