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Monday, December 10, 2007

हिन्दी काव्य के एक संघर्षशील युग का अन्त


देश के जाने-माने हिंदी के प्रमुख कवि त्रिलोचन शास्त्री का निधन हो गया है। वह 90 वर्ष के थे और पिछले काफ़ी समय से कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। उनका असली नाम वासुदेव सिंह था। उनका जन्म 20 अगस्त 1917 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले के गांव चिरानी पट्टी में हुआ था। उन्होंने रविवार की शाम उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद स्थित अपने आवास पर अपनी अंतिम सांस ली। कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। हिंदी में ‘सॉनेट’ को स्थापित करने का श्रेय त्रिलोचन शास्त्री को ही जाता है। उन्होंने करीब 550 सॉनेट की रचना की थी। हिन्दी काव्य जगत से जुड़े सभी लोग उनके निधन से दुखी है। उनका अन्तिम संस्कार राजधानी के निगमबोध घाट पर दोपहर एक बजे किया गया। इस मौके पर दिल्ली की मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित समेत साहित्य और हिन्दी काव्य से जुड़े कई विद्वान मौजूद थे। रंगकर्मी परिवार हिन्दी काव्य के पुरोधा श्री त्रिलोचन शास्त्री को श्रद्धांजली अर्पित करता है।

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