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Thursday, December 13, 2007

मौत से मुलाकात

शाम अपनी अंगड़ाइयां ले रहा था रात की चादर फैलती जा रही थी ,मैं भी हंसी खुशी अपने दिल में नए उमंग नई दुनिया के लिए बढ़ते हुए कदम के सोच को लिए घर की तरफ आ रही थी बहुत खुश थी , नहीं मालुम क्यों ,शायद कोई मेरा इंतजार कर रहा हो। घर पहुंचते पहुंचते ये भ्रम टूटा सहसा एक आवाज ने मुझे झकझोरा ......ये बच्चे थे उनकी दर्द भरी आवाज ने कहा दीदी चाची की तबियत खराब है उनको ज़रा देख लो मैं गई वहां पर जो देखा दिल दहल गया सौंदर्य की प्रतिमूर्ति बेतहाश होकर गिरी हुई अपनी जिंदगी के समाप्त होने का इंतजार कर रही थी । नहीं जानती थी मैं तब तक कि एक मातृत्व की भावना पर नारी की भावना हावी हो गई थी । लड़खड़ाते हुए जबान से मौत को पुकारती वो आवाज मेरे दिल को दहला गई । समझ नहीं आया क्या करू अचानक दिमाग में आया कि उसे बचा लो एक नारी को ना सही एक मां को बचा लो । छोटा अबोध बच्चा उसे क्या पता अगले पल क्या होने वाला है । अपने जीवन में ऐसा दृश्य मैने कभी नहीं देखा था पूछती रही घंटो तक उस मां से कि क्या हुआ है खुद को आपने क्या किया है पर मां की ममता शायद नारी भावना के आगे दम तोड़ रही थी इसलिए कुछ नहीं बोला उस मां ने । फिर सहसा बच्चे के प्यार भरे शब्द मम्मी ने उस औरत की आत्मा को झकझोरा औऱ उसने बोला मैने एसिड पीया है । इतना सुन मेरा दिल दहल गया आस पास कोई भी नहीं था, उस बच्चे की रुदन ने मेरे होश उड़ा दिए मैने दृढ़ निश्चय कर लिया कि आज एक मां को मौत के पास नहीं जाने दूंगी । मां न होते हुए भी मां की ममता का अहसास हो गया था मुझे । शायद भगवान उस मां को बचाना चाहता था ,तभी तत्काल उसका उपचार हो गया नहीं तो उस दर्द से छटपटाती मां को मौत को पुकारना मैं जिंदगी में नहीं भूल सकती शायद भगवान नहीं होते तो अगले पल का नजारा क्या होता यो सोचकर कांप जाती हूं । नहीं जानती थी कि आज मेरी मुलाकात एक भयावह मौत से होनी थी । तुलिका सिंह सीएनइबी ।

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