Friday, December 7, 2007
छोटी मुलाकातें बड़ी यादें ऐसा क्यों ?
बहार के बाद पतझड़ आती है,
कली खिलने के बाद मुरझाती है ,
रूपहली धूप के बाद घटा छाती है,
रात ओंस के आंसू बहाती है,
होता है ऐसा क्यों ?
हंसी देके भी रूलाई मिलती है ,
मिलने के बाद जुदाई मिलती है,
प्यार देके भी बेवफाई मिलती है
भीड़ में भी तन्हाई मिलती है ,
होता है ऐसा क्यों ?
जिसे चाहते है हम वह नहीं मिलता,
हमारा अपना अधिकार है,क्यों छिनता,
चाहते है साथ हम सदा जिनका
उनका साया भी तो नहीं मिलता
होता है ऐसा क्यों
जब हम प्यार की कब्र खुद बनाते हैं
उन्हें खोकर भी जिंदा रह जाते है,
अपनी आशा की चिता खुद जलाते है,
फिर भी जग को हम हंस कर दिखाते हैं,
होता है ऐसा क्यों ?
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3 comments:
bhut khoob
shayad yahi hai zindagi........?
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