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Tuesday, January 8, 2008

धर्म की लड़ाई पीछा नही छोडेगी।

एक ख़बर- दोपहर दो सांडों की लङाई के कारण सङक पर यातायात बीस मिनट तक बाधित रहा। जब इसकी शिकायत सिटी मजिस्ट्रेट से की गई तो उन्होंने सांडों के लङने के लिए शहर में अलग से अखाङा खोलने का आश्वासन सङक पर चलने वालों को दिया। जिला प्रशासन अब सांडों से अनुरोध करेगा कि वे सङक को अखाङा बनाने की बजाय अखाङे में ही जाकर जोर-आजमाइश करें। मोनिका- कहीं एक सांड़ हिन्दू और दूसरा मुसलमान निकल आता तो लड़ाई धार्मिक हिंसा का रूप ले लेती और यह खबर स्थानीय की जगह राष्ट्रीय बन जाती। मोनिका तोमर, सीएनईबी

4 comments:

Amit said...

वाह भई वाह...थोड़े से शब्दों में काफ़ी बड़ी बात कह दी आपने। हिंदुस्तान में जितना हम धर्म के लिए लड़ते हैं शायद इतना दूसरी और किसी वज़ह के लिए नहीं। धर्म की इस लड़ाई को आपका करारा तमाचा मुझे पसंद आया....

इसी तरह अपना लेखन ज़ारी रखें।
धन्यवाद...

अमित मिश्रा, सीएनईबी

Parvez Sagar said...

छोटी सी कहानी और पड़ा सबक..... बहुत मुश्किल है एक सामान्य ख़बर को सन्देश बनाकर लोगों तक पंहुचाना....
बधाई मोनिका इस प्रयोग के लिये....

Keerti Vaidya said...

bhut khoob...badi baat keh gayi aap

अनुराग अमिताभ said...

every body in india wants to prove themselves intelligent by writing poetry or gajal or romantic writing and by doing this they feel that they had done xtraordinary greatwork.
i am sure that u are not like them and not a patrakar of kutta billi kabooter type bcos u have a decent style of slaping on the face of suedo patitkar and a very nice way to treat with a truth a damn truth a bitter origanility of india .
लीक पे चले तो क्या चले,
कारवाँ बने तो क्या बने,
हिंद का खूँ है हममें
अंदाज़ अलग हो हमारा,
किसी को जमें न जमें ।

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