Thursday, January 24, 2008
सिर्फ़ मुड़ मुड़ के देखते जाओ ...
आग अश्कों से हम लगा लेंगे
उनके दामन से फिर हवा लेंगे
सिर्फ़ मुड़ मुड़ के देखते जाओ
बेवफ़ाई का ग़म उठा लेंगे
सोच पे आपकी हुकूमत है
एक शायर से और क्या लेंगे
आप बैठे हैं दिल के शीशे में
हाले - दिल आपको सुना लेंगे
आप 'तनहा' का साथ दे दें तो
जश्ने-महफ़िल को हम चुरा लेंगे
--- प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'
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5 comments:
bahut khub mud mud ke to dekh,bewafai ka gum utha lenge
SUNDER RACHNA...
सुंदर गज़ल !
Aap sabhi dosto.n ka dil se shukriya.
- pramod kush 'tanha'
बहुत प्यारी गज़ल
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