Wednesday, January 16, 2008
करके मोहोब्बत हमसे
दूवायें दे कितनी ,आपने वो काम किया है
अपने साथ साथ हमारा भी नाम किया है
करके आपने मोहोब्बत हमसे
आसमान का चाँद बना दिया है
पहले तो हमे कोई पहचानता भी न था
जिस गली से भी गुज़रे अब , उसका मेहमान बना दिया है
ताजमहल पर लगाई है तस्वीर
एक और नया अरमान दिया है
कैसे शुकराना अदा करे हम
आपने हमे इतना जो मान दिया है
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4 comments:
बहुत ख़ूब.......मोहब्बत ऐसी ही है...अच्छा लिखा आपने...बस इसी तरह लिखते रहिए।
धन्यवाद।
अच्छी नज्म ।
पहले तो हमे कोई पहचानता भी न था
जिस गली से भी गुज़रे अब , उसका मेहमान बना दिया है
Bahut khoob Mehek. Aaj main aapke dusre blogs ko bhi visit kar rahi hun. Maine kabhi dhyan nahi diya tha ki ye aapka hai.
rgds.
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