ख़तम न हो कभी सिलसिले
जो अब तुमसे बने है
मिटे न कभी अपने फासले
जो अब नज्दिकिया बनी है
टूटे न कभी मन के धागे
जो अब तुमसे जुडे है
बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है
महकता रहे अब प्यार
जो अब तुमसे मिला है
हर सांस में रहे इक नाम
जो अब बस तुम्हारा है
कीर्ती वैद्य
ख़ुशकिस्मत होते हैं वो लोग जिनके लिये इस तरह की रचनाओं को लिखा जाता है.... शब्दों की शक्ल मे आपकी भावनाऐं लगता है जैसे बोलने लगी हों... जो आप के मन मे हो, होठों से ना बोलकर, शब्दों से कहला दिया हो... एक ऐसा अहसास जो महसूस करने वाले के जिस्म को अन्दर तक महका दे... इसी को कहते हैं शब्दों की जादुगरी... जो आपको दी है कुदरत ने...और आप उसका इस्तेमाल करती हैं दिल से.... Keep it up.
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6 comments:
ख़ुशकिस्मत होते हैं वो लोग जिनके लिये इस तरह की रचनाओं को लिखा जाता है.... शब्दों की शक्ल मे आपकी भावनाऐं लगता है जैसे बोलने लगी हों... जो आप के मन मे हो, होठों से ना बोलकर, शब्दों से कहला दिया हो... एक ऐसा अहसास जो महसूस करने वाले के जिस्म को अन्दर तक महका दे... इसी को कहते हैं शब्दों की जादुगरी... जो आपको दी है कुदरत ने...और आप उसका इस्तेमाल करती हैं दिल से.... Keep it up.
dil ki baat juban par :)beautiful.
अपनी संवेदनाओं को बखूबी व्यक्त किया है।सुन्दर रचना है।
टूटे न कभी मन के धागे
जो अब तुमसे जुडे है
बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है
Bahut saadgi se dil ki baat kahi hai ! Mubarakbaad qubool farmayei.n
--- pramod kumar kush 'tanha'
shukriya Dosto
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