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Wednesday, January 2, 2008

शृंगार

शृंगार 1.बिंदिया,झुमका,पायल,बाजूबंद मैं सब कुछ पहनकर आउ एक काला तीट मुझे लगाना, सब की नज़र से मैं बच पाउ 2.पिया लुभावन, हर दिन में दुल्हन , चाहे सोला शृंगार करे शृंगार उसका अधूरा लागे,जब तक ना सिंदूर से माँग भरे 3.गोल गोल जो सदा घूमत रहे, मुझे वो ही गरारा चाहिए पिया मिलन से मैं शर्माउ,चहेरा छुपाने ओढनी भी लाइए 4.किन किन करते कंगना मेरे,खनक खनक सब कुछ बोले है लाज के मारे लब सिले है , तब कंगना दिल के राज़ खोले है 5.ठुमक ठुमक जब गोरिया चले है ,उसकी तारीफे कीजिए गा रूठे जो सजना से गोरी ,मनाए खातिर, नौलखा दीजिए गा

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