Tuesday, January 1, 2008
हो चमन रोशन...
ज़िन्दगी को हिन्द की ख़ुशबू बनाइये,
आज रिसते जख़्म पर मरहम लगाइये ।
कैसा फ़साद मंदिर-मस्जिद का दोस्तों,
हर कदम पर सबको हम सफ़र बनाइये ।
आज इंसा बेकसी में बेज़री में जी रहे,
उस दर्द को सहलाइये नफ़रत मिटाइये ।
ग़म के बदले ग़म ही कुदरत देती है सदा,
पत्थर दिलों पे प्यार की फ़सलें उगाइये।
जांनिसारी देश की ख़ातिर करें हमलोग,
हो चमन रोशन इसे महमह बनाइये।
- भोगेन्द्र पाठक
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