ये दोनो तस्वीरें 1900वीं शताब्दी मे एक ब्रिटिश फोटोग्राफर ने आगरा आने पर उतारी थीं। इसमे ताजमहल की तस्वीर 1885 मे ली गयी जबकि यमुना से लाल किला और ताज वाली तस्वीर ताज की तस्वीर से कई साल पहले ली गयी। अब ये दोनों दुर्लभ तस्वीरें ब्रिटिश लाईब्रेरी की धरोहर हैं। ये दोनों तस्वीरें आपको कैसी लगी?
सर आपके कमेंट पढने को नहीं मिल रहे,और मेरे पर तो बिलकुल नहीं। मेंनें भी अपना ये आखिरी कमेंट डाला है, जनाब मेनैं 5 गज़लें लिखी आपके लिऐ वरना ब्लोगिंग के शौकीन हम कतई नहीं, खैर मैं उनमें से नहीं जो तारीफ़ के मुंतजिर हों, ईज्ज़त अफजाई शेरों की दाद खुद कर देती है। "जिंदगी है या कोई तूफान है, हम तो इस जीने के हाथों मर चले । शमआ के मानिंद हम इस बज्म में, चश्म नम आये थे,दामन तर चले। फकीराना आये सदा कर चले मियाँ खुश रहो हम दुआ कर चले।" आपका अनुराग अमिताभ
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5 comments:
जबरदस्त सर तस्वीरों को देखकर लगा कि जैसे कि हम वही खड़े है जब तस्वीरें ली जा रही थी ।
अच्छी तस्वीरें.
सर आपके कमेंट पढने को नहीं मिल रहे,और मेरे पर तो बिलकुल नहीं।
मेंनें भी अपना ये आखिरी कमेंट डाला है,
जनाब मेनैं 5 गज़लें लिखी आपके लिऐ वरना ब्लोगिंग के शौकीन हम कतई नहीं,
खैर
मैं उनमें से नहीं जो तारीफ़ के मुंतजिर हों,
ईज्ज़त अफजाई शेरों की दाद खुद कर देती है।
"जिंदगी है या कोई तूफान है,
हम तो इस जीने के हाथों मर चले ।
शमआ के मानिंद हम इस बज्म में,
चश्म नम आये थे,दामन तर चले।
फकीराना आये सदा कर चले
मियाँ खुश रहो हम दुआ कर चले।"
आपका
अनुराग अमिताभ
सुंदर तसवीरें । दुर्लभ भी । ताज महल हमेशा से बहुत अच्छा लगता रहा है ।
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