सम्बन्धी भूले नही जाते
बस अफ्रातरी की ज़िंदगी में
किसी कोने में दब जाये
कभी अलमारी में रखी
पुरानी किताब से
कभी बरसों पुराने
संभले इक पत्र से
टकरा जाये कभी दोबारा
फूट पड़े नैन
जैसे निर्झर झरना...
कीर्ती वैद्य
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4 comments:
फूट पड़े नैन
जैसे निर्झर झरना...
aap bahut achchha likhtee hein.
sunder rachna ke liye badhayee.
हमेशा की तरह लाजवाब है.. जनाब.....
सिलसिला जारी रखिये....
परवेज़ सागर
सम्बन्धी भूले नही जाते
बस अफ्रातरी की ज़िंदगी में.....
Ati Sunder Rachna.
Keep itup
सुंदर, दिल को छू लेने वाली रचना ।
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