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Thursday, January 31, 2008

Baapu Ne Bola Hai.....


Agar koi tumhari salary na increase kare ,


tumhe promotion na de,
tum kam karte raho....
sirf kam hi nehi zada kam karo......
promotion ki ummed na karo.......
Dekhna, Uski aatma ek din jaroor jaagegi.
Aur vo tumhe salary hike aur promotion zaroor dega"
Aur agar fir bhi koi salary hike aur promotion nahi mile ,
to uske paas jana, use ek Guldasta dena....
aur Vinamrata se kehna.......

GET WELL SOON MAMU

सम्बन्धी

सम्बन्धी भूले नही जाते बस अफ्रातरी की ज़िंदगी में किसी कोने में दब जाये कभी अलमारी में रखी पुरानी किताब से कभी बरसों पुराने संभले इक पत्र से टकरा जाये कभी दोबारा फूट पड़े नैन जैसे निर्झर झरना... कीर्ती वैद्य

फ्रेंच फिल्‍मों ने मचाया मुंबई में धूम

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान जब कहते हैं कि यदि आप फिल्‍मों के बारें में कुछ सीखना चाहते हैं तो आपको फ्रेंच फिल्‍में जरुर देख्‍ाना चाहिए। यह काफी रचनात्‍मक होती हैं। फ्रेंच फिल्‍मों को लेकर शाहरुख खान की यह टिपणी एकदम सटीक है। मुंबई की हल्‍की गुलाबी ठंड और फ्रेंच फिल्‍म फेस्‍टीवल, यदि दोनों एक साथ हो तो क्‍या बात है। मुंबई में पिछले दिनों चार दिवसीय इस फेस्‍टीवल के दौरान बड़ी तादाद में फिल्‍म प्रेमियों ने शिकरत कर , न सिर्फ इस फेस्‍टीवल के आयोजकों का हौसला बढ़ाया, बल्कि एक बार यह फिर से साबित कर दिया कि मुंबई वासी अच्‍छी फिल्‍मों के कितने कद्रदान हैं। हिंदुस्‍तान में यह अपने आप में पहला फिल्‍म फेस्‍टीवल था कि जिसमें आई लगभग सभी फिल्‍मे भारतीय वितरकों को बेची जा चुकी हैं। बस इन्‍हें सिनेमा हाल में प्रदर्शित करने की देर है । आयोजकों का मानना है कि भारतीय सिनेप्रेमी फिल्‍मों के बहुत बड़े दिवानें है, यही कारण है कि फ्रेंच फिल्‍मों को देखने को लिए इतने बड़े पैमाने पर लोग उपस्थित रहे । इस फेस्‍टीवल में दिखाई गई अधिकतर फिल्‍मे नॉन हॉलीवुड की रहीं। आस्‍कर से नवाजी जा चुकी फिल्‍म क्रॉसड ट्रेक को भी भारतीय वितरकों ने हाथों हाथ लिया। फेस्‍टीवल में दिखाई गई फिल्‍मों में क्रॉस्‍ड ट्रेक्‍स, अजूर एंड असमा और कारामेल प्रमुख फिल्‍में रहीं । फ्रेंच फिल्‍मों का यह सफर 27 जनवरी से 30 जनवरी तक मुंबई में चलने के बाद एक से चार फरवरी के बीच बैगलोर और फिर सात से दस फरवरी के मध्‍य नई दिल्‍ली में चलेगा।यह फेस्‍टीवल फ्रांस के राष्‍ट्रपति निकोलस सारकोजी की दो दिन की भारत यात्रा से जुड़ा हुआ है। फेस्‍टीवल के पहले दिन फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को फ्रांस के राजदूत जेरम बोनाफोंट ने फ्रांस के शीर्ष सांस्कृतिक पुरस्कार ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स’ से नवाजा गया । शाहरुख को उनके श्रेष्ठ करियर तथा सिनेमा के माध्यम से भारत फ्रांस सहयोग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया। शाहरुख खान के अलावा अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, ज्योर्ज क्लूनी, क्लाइंट ईस्टवुड, मेरिल स्ट्रीप, ब्रूस विलिरु तथा जुडला को यह अवार्ड दिया जा चुका है।

सुबह

दरख्तों पर बैठी कोयल जब कूकती है .... तो लगता है मानों ... आम्र वाटिका मैं मंजरों की खुशबू है मदमस्त मन जब पुलकित सा होता है तभी ...... नींद खुल जाती है !! (यह पंक्तिया मेरे मित्र उत्पल मिश्र जी की है)

Wednesday, January 30, 2008

The Indian chromosome By Dr Farrukh SaleemThe News, December 09, 2007

http://watandost.blogspot.com/2007/12/difference-between-india-and-pakistan.html Twenty-five thousand years ago, haplogroup R2 characterized by genetic marker M124 arose in southern Central Asia. Then began a major wave of human migration whereby members migrated southward to present-day India and Pakistan (Genographic Project by the National Geographic Society; http://www.nationalgeographic.com/ ).Indians and Pakistanis have the same ancestry and share the same DNA sequence. Here's what is happening in India:The two Ambani brothers can buy 100 percent of every company listed on the Karachi Stock Exchange (KSE) and would still be left with $30 billion to spare. The four richest Indians can buy up all goods and services produced over a year by 169 million Pakistanis and still be left with $60 billion to spare.The four richest Indians are now richer than the forty richest Chinese. In November, Bombay Stock Exchange's benchmark Sensex flirted with 20,000 points. As a consequence, Mukesh Ambani's Reliance Industries became a $100 billion company (the entire KSE is capitalized at $65 billion). Mukesh owns 48 percent of Reliance. In November, comes Neeta's birthday. Neeta turned forty-four three weeks ago. Look what she got from her husband as her birthday present: A sixty-million dollar jet with a custom fitted master bedroom, bathroom with mood lighting, a sky bar, entertainment cabins, satellite television, wireless communication and a separate cabin with game consoles. Neeta is Mukesh Ambani's wife, and Mukesh is not India's richest but the second richest. Mukesh is now building his new home, Residence Antillia (after a mythical, phantom island somewhere in the Atlantic Ocean). At a cost of $1 billion this would be the most expensive home on the face of the planet. At 173 meters tall Mukesh's new family residence, for a family of six, will be the equivalent of a 60-storeyed building. The first six floors are reserved for parking. The seventh floor is for car servicing and maintenance. The eighth floor houses a mini-theatre. Then there's a health club, a gym and a swimming pool. Two floors are reserved for Ambani family's guests. Four floors above the guest floors are family floors all with a superb view of the Arabian Sea. On top of everything are three helipads. A staff of 600 is expected to care for the family and their family home. In 2004, India became the 3rd most attractive foreign direct investment destination. Pakistan wasn't even in the top 25 countries. In 2004, the United Nations, the representative body of 192 sovereign member states, had requested the Election Commission of India to assist the UN in the holding of elections in Al Jumhuriyah al Iraqiyah and Dowlat-e Eslami-ye Afghanestan.Why the Election Commission of India and not the Election Commission of Pakistan? After all, Islamabad is closer to Kabul than is Delhi. Imagine, 12 percent of all American scientists are of Indian origin; 38 percent of doctors in America are Indian; 36 percent of NASA scientists are Indians; 34 percent of Microsoft employees are Indians; and 28 percent of IBM employees are Indians. For the record: Sabeer Bhatia created and founded Hotmail. Sun Microsystems was founded by Vinod Khosla. The Intel Pentium processor, that runs 90 percent of all computers, was fathered by Vinod Dham. Rajiv Gupta co-invented Hewlett Packard's E-speak project.Four out of ten Silicon Valley start-ups are run by Indians. Bollywood produces 800 movies per year and six Indian ladies have won Miss Universe/Miss World titles over the past 10 years. For the record: Azim Premji, the richest Muslim entrepreneur on the face of the planet, was born in Bombay and now lives in Bangalore.India now has more than three dozen billionaires; Pakistan has none (not a single dollar billionaire). The other amazing aspect is the rapid pace at which India is creating wealth. In 2002, Dhirubhai Ambani, Mukesh and Anil Ambani's father, left his two sons a fortune worth $2.8 billion. In 2007, their combined wealth stood at $94 billion.On 29 October 2007, as a result of the stock market rally and the appreciation of the Indian rupee, Mukesh became the richest person in the world, with net worth climbing to US$63.2 billion (Bill Gates, the richest American, stands at around $56 billion). Indians and Pakistanis have the same Y-chromosome haplogroup. We have the same genetic sequence and the same genetic marker (namely: M124). We have the same DNA molecule, the same DNA sequence.Our culture, our traditions and our cuisine are all the same. We watch the same movies and sing the same songs. What is it that Indians do and we don't: Indians elect their leaders. The writer is an Islamabad-based freelance columnist. Email: farrukh15@hotmail.com

जंग जारी है

जंग जारी है ज़िंदगी से सुबह उठने के साथ रात को सोने तक और शायद सपने में भी जंग इस बात की है कि हम खुद को इंसान समझें या फिर उत्पाद हमारे अन्दर जों भावनाएँ हैं वो सिर्फ उबाल लें और बह जाएँ बहुत हो तो कविता की शक्ल लें और कागज़ पर छ्प जाएँ इससे ज्यादा भावनाओं की कोई कीमत नही क्यूंकि कीमत तो बाज़ार तय करता है और बाज़ार में हमारी भावनाओं की कोई कीमत नही बाज़ार भावना को अपने हिसाब से बनाता है बढ़ाता है या फिर मिटाता है जंग जारी है कि चाय ठेलों पर लेते हुए चुस्कियाँ लडातें रहें गप्पें करते हुए राजनीति पर चर्चा कोस लें अपनी सरकार गलियां बक सकें तो बक लें बुश को और फिर भी ना हो दूर ऊब तो छेड़ें कोई नया शिगूफा बात कर सकें तो कर लें अपने सपनों की भर सकें तो भर लें जीवन में प्यार का रंग कि जंग लड़ते हुए जी सकें कुछ और पल इससे पहले कि जब हम भी उत्पाद बन जाएँ purnendu c voter

Tuesday, January 29, 2008

Please Play to Feed Someone!!!!!!

I was searching something to write and just founded a great website. THis site- "freerice.com". This site has a word game loaded. For every correct meaning of a word 20 ricegrains will be given to United NAtions World Food Program. Kindly take out a minute from your busy schedule and play this word game. You will end the hunger fast of someone. Play to feed. Expecting a positive hand from all you.

Saturday, January 26, 2008

गणतंत्र दिवस कि बधाई.

आप सब को गणतंत्र दिवस कि शुभकामनाये कुछ कर गुजरने कि तमन्ना उठती हो गर दिल में भारत माँ का नाम सजाओ दुनिया कि महफिल में

Thursday, January 24, 2008

सिर्फ़ मुड़ मुड़ के देखते जाओ ...

आग अश्कों से हम लगा लेंगे उनके दामन से फिर हवा लेंगे सिर्फ़ मुड़ मुड़ के देखते जाओ बेवफ़ाई का ग़म उठा लेंगे सोच पे आपकी हुकूमत है एक शायर से और क्या लेंगे आप बैठे हैं दिल के शीशे में हाले - दिल आपको सुना लेंगे आप 'तनहा' का साथ दे दें तो जश्ने-महफ़िल को हम चुरा लेंगे --- प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'

आज़ादी का मतलब

१९४७ से पहले आज़ादी का मतलब था अंग्रेजों भारत छोडो १९४७ के बाद आज़ादी का मतलब बदला है आज़ादी चाहिऐ बैल कि तरह जोते जाने कि मजबूरी से जिसका फल दो सूखी रोटी से अधिक कुछ भी नही आज़ादी चाहिऐ उस जीने से जो सच में मौत से भी बदतर है आज़ादी चाहिऐ उस व्यवस्था से जिसमे अनाज से भरे गोदाम के सामने आदमी भूख से दम तोड़ देता है आज़ादी चाहिऐ उन कोठों से जहाँ कागज़ के टुकडे इज्ज़त से ज्यादा कीमती होते हैं आज़ादी चाहिऐ सहने कि उस ताकत से जो गरीबी को मुँह चिढाती है अभावों में जीना सिखाती है सब्र के बाँध अब टूटो भी बह जाने दो बरसों से रुका पानी जो अब सड़ने लगा है बेरोज़गार हांथों मिटा दो पूंजीवाद जिसने उत्पादन को ज़रूरत के बजाय लाभ की चेरी बना के रखा है करो तैयारी स्वागत की नए समाज के जहाँ बहस हो विकास की , सृजन की बेहतर की ,और बेहतर की ! ( कविता समर्पित है भारत के उन २२ करोड़ लोगों को जो आज भी दो जून की रोटी के लिए संघर्षरत हैं ) purnendu c voter

Wednesday, January 23, 2008

छोरा ........

इक सरीखा सा छोरा, मुझसे टकराया गुथ्मुठ बातो से भरा, छु मेरे मन को गया हलकी मीठी धुप सा, ज़िन्दगी में रम गया सलीकेदार सवाल- आप केसी हैं ? अरे, मुझे फूलों सा खिला गया... सरसरी बातो में, दीवाना बना गया तनिक मुलाकातों में, अपना बना गया सच, वो छोरा मेरा प्यार बन गया.......
कीर्ती वैद्य....

Tuesday, January 22, 2008

अच्छा होता

बरसती शाम में आ पाते तो अच्छा होता और कोई गीत सुना जाते तो अच्छा होता महीनों बाद तो आया है खुशनुमा मौसम साथ में तुम भी अगर आते तो अच्छा होता मेरी चुनरी इन हवाओं में उडी जाती है इसको दोबारा ओढा जाते तो अच्छा होता सपनों में आओगे इस ख्याल में नींदें खोई अब हकीकत में चले आते तो अच्छा होता बैठ कर सुलझाई थी तुमनें कभी लट मेरी उलझी है आज भी, सुलझाते तो अच्छा होता चाहे आकर के भी जाने की रट लगा लेना इक दफा आ के चले जाते तो अच्छा होता मैं तो इक पल की मुहब्बत में काट लूं ये हयात मुश्किल अगर तुम इसे पाते तो ये अच्छा होता

Friday, January 18, 2008

एक सवाल

A question to all the members of 'Rangkarmi' आप में से कितने लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहले रंगमंच किया है.....या नहीं किया है पर करना चाहते हैं. Please leave a comment with the answer. परवेज़ और मैं प्रयासरत हैं कुछ ऐसा करने के लिये जिस से वो लोग भी रंगमंच कर सकें जिनके पास समय का आभाव है. आप लोगों का सहयोग अपेक्षित है गौरव

दुर्लभ तस्वीरें आपके लिये........

ये दोनो तस्वीरें 1900वीं शताब्दी मे एक ब्रिटिश फोटोग्राफर ने आगरा आने पर उतारी थीं। इसमे ताजमहल की तस्वीर 1885 मे ली गयी जबकि यमुना से लाल किला और ताज वाली तस्वीर ताज की तस्वीर से कई साल पहले ली गयी। अब ये दोनों दुर्लभ तस्वीरें ब्रिटिश लाईब्रेरी की धरोहर हैं। ये दोनों तस्वीरें आपको कैसी लगी?


Thursday, January 17, 2008

जो ना अपना....

क्यों आस्मा को छूती है वो तरंगे जो सिमटी है मेरी हथलियो में... क्यों नेनो के सागर में तेरते सपने जो कैद है मेरे दिल में... क्यों भागता है मन तुम्हारे पीछे जो बस जुड़ा ख्याल बन मेरे स...े क्यों चुगती हूँ सपने तुमसे जुडे जो कभी नहीं तेरे-मेरे... क्यों सजाती हूँ रेत के घरोंदे जो ना बनेगा अपना बेसेरा..... कीर्ती वैद्य

Wednesday, January 16, 2008

इक जरा छींक ही दो तुम.............

दोस्तों, गुलज़ार साहब की ये कविता पढ़ी तो दिल को छू गई। ऐसा लगा कि अहसासों को लफ़्जों में बयां करना कोई उनसे सीखे। ये तो तय है कि इस कविता को पढ़कर आप भी कुछ देर के लिए ही सही, सोच में गुम ज़रूर हो जाएंगे। चिपचिपे दूध से नहलाते हैं, आंगन में खड़ा कर के तुम्हें । शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या घोल के सर पे लुंढाते हैं गिलसियां भर के औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर पांव पर पांव लगाये खड़े रहते हो इक पथरायी सी मुस्कान लिये बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी । जब धुआं देता, लगातार पुजारी घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर इक जरा छींक ही दो तुम, तो यकीं आए कि सब देख रहे हो । - अमित

हमसफर अब गाँव चल

हवाऐं तल्ख हो चुकीं,फिजां में कुछ घुटन सी है, ये शहर अब मेरा नहीं ,हमसफर अब गाँव चल । कत्ल रिश्तों का हर पल यहाँ,दहशत हर साँस में, इंसानियत को दफना के, हमसफर अब गाँव चल । दोस्ती गुम है यहाँ,वफा भी है कुछ अजनबी, हर शख्स तन्हा है यहां, हमसफर अब गाँव चल । रोशनी यहाँ कैद है,उजाले बदिंशो मैं है, सूरज दिखेगा खेत से, हमसफर अब गाँव चल । एक रंग के खून को, कई नाम देते हैं यहां, मंदिर औ मस्जिद मैं अब खुदा नहीं, हमसफर अब गाँव चल । दूध का कर्ज था गाँव में माँ का मेरी, वो माँ अब मर गई, हमसफर अब गाँव चल । स्कूल में सुना था ये,वतन अब आजा़द है, गिरवी रखी ज़मीं लेने, हमसफर अब गाँव चल । अनुराग अमिताभ

करके मोहोब्बत हमसे

दूवायें दे कितनी ,आपने वो काम किया है अपने साथ साथ हमारा भी नाम किया है करके आपने मोहोब्बत हमसे आसमान का चाँद बना दिया है पहले तो हमे कोई पहचानता भी न था जिस गली से भी गुज़रे अब , उसका मेहमान बना दिया है ताजमहल पर लगाई है तस्वीर एक और नया अरमान दिया है कैसे शुकराना अदा करे हम आपने हमे इतना जो मान दिया है

Sunday, January 13, 2008

वाह क्या संविधान है ।

लाश बन चुका गरीब,कंधो पे है उसके सलीब, वोट फिर भी दे रहा,वाह क्या संविधान है । हम बदनसीब हैं,नेता बडे अदीब हैं, वो खा रहे इंसान को, वाह क्या संविधान है । फटा चिथा सडा गला,बीमार सा मरा मरा, वो देश मेरा महान है, वाह क्या संविधान है । चमक रहा हिंदोस्तां,संसद में कह रहे सभी, चोर साले सब वहाँ, वाह क्या संविधान है । आओ मिल के बाँट लें,बचा खुचा हिंदोस्ता, बिक चुका मेरा ईमान है, वाह क्या संविधान है । कल हमें पता चला,देश ये आजा़द है, हर जगह सिंगूर है, वाह क्या संविधान है । बच्चियों से कह दो,घर से न निकला करे, हर शख्स यहाँ शैतान है, वाह क्या संविधान है । अनुराग अमिताभ

Hello Friends........ I m Naseem

Hello Friends, I am Naseem Ahmad. I am a TV Journalist working for NDTV India in Agra. Now I am the member of Rangkarmi. Thanks to All team of Rangkarmi.........

Friday, January 11, 2008

ताश के पत्ते

हम आदमी थे ही कहाँ बस फ़क़त ताश के पत्ते थे कभी कुर्सियों की जंग में लड़ने के लिये कभी कुर्सियों की तक़सीम की खातिर कभी किसी के अहम की तस्कीन की खातिर, औरकभी किसी की दिल्लगी और दिलजोई की खातिर हम तो बसताश के पत्तों की तरह फेंटे गये कभी काटे गये, कभी बाँटे गयेकभी पलट कर रखे गये कभी उलट कर देखे गये कभी हम मुस्तकिल गड्डी सेअलग करके रखे गये कभी हम बोली पर चढ़ेकभी हम दाँव पर खेले गये जब जहाँ मौक़ा लगाहमको आज़माया गया अगर बेकाम निकले तोहिक़ारत से ठुकराये गये हम तो बस ताश के पत्ते थे कभी पपलू के खिताब से नवाज़े गये कभी जोकर कभी टिटलू बनाये गये कभी हम किसी के ट्रम्प थे,तो कभी सिर्फ जोकर की मानिन्द उछाले गये अगर फिर भी न रास आये तोगड्डी में फिर से फेंटे गये। हम तो आदमी थे ही कहाँबस फ़क़त ताश के पत्ते थे। .....कविता एक बड़े कवि अहसन साहब की है जो कई पुरस्कारों से भी नवाज़े गए हैं।

ये जो इनका हाल है.........













आस्ट्रेलिया के क्रिकेट खिलाड़ी अपनी बेइमानी के लिये पूरी दुनिया मे मशहूर हो गये है। ये फिरंगी आज भी भारतीयों को कमज़ोर समझते हैं। इसके पीछे कई कारण है जिसमें हमारी सरकार का भी अहम रोल है। खैर इस मुद्दे पर फिर कभी बात करेगें...... फिलहाल यहां कगांरुओं की कुछ तस्वीरें और इनके लिये एक शेर आपकी खिदमत मे पेश हैं। ये तस्वीरें हमारे एक दोस्त ने हमें मेल की हैं। उम्मीद है तस्वीरें और शेर आप सभी को पसन्द आयेंगा।-
ये जो इनका हाल है, खुद अपनी हरकतों से है..
दुआ किसी की नही, बददुआ किसी की नही...

Thursday, January 10, 2008

नैनो एक नज़र में!!

टाटा की अत्यधिक महत्वाकांक्षी एक लाख कीमत वाली कार पर से अंतत: आज पर्दा उठ ही गया और सामने आई टाटा नैनो।अगर रतन टाटा की माने तो आज से चार - पांच साल पहले एक परिवार को मुंबई में बारिश में भीगते हुए देख कर ये खयाल आया कि क्यों ना एक कार ऐसी बनाई जाये जिससे आम आदमी भी अपने रहन सहन के स्तर को बढता हुआ देख सके।यानि की निम्न मध्यम या मध्यम वर्ग जो कि कार का सपना संजो कर तो रखता था लेकिन उसे साकार नही कर पाता था।खैर टाटा की इस कार में कुछ खूबियां भी हैं। मसलन दिखने में टाटा नैनो मारुति ८०० से छोटी है,लेकिन 21 प्रतिशत ज़्यादा जगह रखती है।कार के डैश बोर्ड में एक स्पीडोमीटर, फ़्यूल गेज, आयल और लाईट के इंडिकेटर हैं।कार में एडजस्टेबल सीट या रेक्लाईनिंग सीटें अभी नही हैं, रेडियो भी नही है।शाक एब्ज़ार्बर्स भी काफ़ी आधारभूत स्तर के ही हैं। इसमें 30 लिटर का फ़्यूल टैंक है, और चार स्पीड मैनुअल गीयर शिफ़्ट हैं। नैनो के तीन माडलों में से एक में एयर कंडीशनिंग भी है, लेकिन उसमे कोई पावर स्टीयरिंग नही होगा। इसमें आगे के डिस्क ब्रेक होंगे और पीछे ड्रम ब्रेक तकनीक का प्रयोग किया गया है। कम्पनी के दावे को यदि माने तो ये कार एक लीटर पेट्रोल में 23 कि० मी० चलेगी। इस कार को टाटा ने मध्यम वर्गीय परिवार को ध्यान में रखते हुए डिज़ाईन किया है। नैनो को डिज़ाईन करने में 500 से अधिक आटोमोबाईल, ईलेक्ट्रानिक्स एवं एस्थेटिक्स एंजीनियरों की सहायता ली गई है। कार का डिज़ाईन अभी तक की हैच बैक सेगमेंट में सबसे ज़्यादा एयरो डाइनामिक है।कार की लंबाई 3.1 मीटर है, चौड़ाई 1.5 मीटर औरउंचाई 1.6 मीटर है। कार में ट्यूब लेस टायरों का इस्तेमाल किया गया है, कार का ग्राऊंड क्लीयरेंस भी अच्छा है। इस कार का ईंजन 2 सिलिंडर, 623 cc, मल्टी प्वाईंट फ़्यूल इंजेक्शन है। इंजन को बूट स्पेस यानि कि पीछे की ओर रखा गया है, जिससे कि पिछले पहियों को ज़्यादा पावर मिल सकेगी। भारत में पहली बार 2 सिलिंडर, सिंगल बैलेंसर शैफ़्ट गैस इंजन इस्तेमाल किया गया है। जो कि कार के माइलेज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। लेकिन इंजन को ठंडा रखने के लिये एक एयर स्कूप देना भी अति आवश्यक होता है जिस की गैर मौजूदगी नैनो में कुछ शुरुआती दिक्कतें पैदा कर सकती है।सुरक्षात्मक नज़रिये से देखें तो भी ये एक उत्तम कार की श्रेणी मेंरखी जा सकती है। सम्पूर्ण शीट मेटल बाडी तथा impact resistant rods के प्रयोग से गाड़ी में सुरक्षा का भी उचित ध्यान रखा गया है। आने वाले कुछ समय में एक नया सेगमेंट बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने के लिये तैयार होगा। ह्युन्दाई मोटर्स के एक अधिकारी की माने तो उनकी बिक्री पर अभी से इसका प्रभाव पड़ता दिख रहा है।जगदीश खट्टर का कहना है कि अभी इस पर कोई प्रतिक्रियात्मक टिप्पणीकरना बहुत जल्द बाज़ी होगी। बजाज के अनुसार उन्हे कभी इस बात पर संदेह नही था कि टाटा एक लाख की कीमत वाली कार बाज़ार में उतार सकती है या नही, वरन उनका कहना है कि यह कार कितना मुनाफ़ा दिलायेगी टाटाको ये काबिले गौर बात होगी। वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में इस कार का विरोध भी देखने को मिला सिंगूर के आंदोलन रत लोगो की माने तो यह कार टाटा ने लोगो के खून से बनाई है। कुल मिला कर इस कार से भारतीय बाज़ार में काफ़ी हलचल है। शायद आने वाले समय में यातायात की समस्या और गहरा जाये। धन्यवाद अंकित माथुर...

आज की बड़ी ख़बर- आ रही है एक लाख की कार

आज सारे न्यूज़ चैनल्स की सबसे बड़ी ख़बर टाटा की लखटकिया कार... टाटा नैनो। एक भव्य समारोह मे इस कार को खुद रतन टाटा ने मीड़िया के सामने लांच किया। वो खुद इसे चलाकर स्टेज पर लेकर आये। लेकिन ये कार अगस्त 2008 तक बाज़ार मे आयेगी। इसकी बुकिंग जून से शुरु हो जायेगी। रतन टाटा के मुताबिक ये कार देश मे एक नयी क्रान्ति लेकर आयेगी। इस कार को आम आदमी की कार बताया जा रहा है। 624 सीसी के इंजन वाली ये कार बाहरी आकार मे मारुति 800 से आठ फीसदी छोटी है लेकिन अन्दर से ये मारुति 800 से 21 फीसदी बड़ी यानि कि सपेसियस है। इस नान एसी कार का इंजन आगे नही पीछे की तरफ लगाया गया है। टाटा का दावा है कि ये एक लीटर पैट्रोल मे 25 किमी. तक चलेगी। इसकी अधिकतम रफ्तार 75 किमी प्रति घण्टा होगी। ये कार पर्यावरण के बिल्कुल अनुकूल बनायी गयी है। इसका साइड़ लुक कुछ-कुछ सेन्ट्रो सा लगता है। बाज़ार मे ये कार कई रंगों मे उपलब्ध होगी। तो तैयार हो जाईये इस छोटी, मगर बड़ी खूबियों वाली कार का लुत्फ उठाने के लिये.... मगर करना होगा.... थोड़ा सा इन्तज़ार और कहते है कि इन्तज़ार का फल मीठा होता है।

Wednesday, January 9, 2008

कोई मिल जाये तो....

जिन्दगी ख़वाब है पलकों पे सजा के रखिये प्यार की शमा को सीने में जला के रखिये यार सच्चे बड़ी मुश्किल से मिला करते हैं कोई मिल जाये तो धड़कन में छुपा के रखिये - प्रमोद कुमार कुश 'तनहा' Collected By: Anil Bhardwaj

मधुशाला

पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला, सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला, मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता, मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला। सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला, सजधजकर, पर, साकी आता, बन ठनकर, पीनेवाला, शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय सेचिर विधवा है मस्जिद तेरी, सदा सुहागिन मधुशाला। बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला, गाज गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला, शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला!। मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला, एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला, दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते, बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।

ग़ुमशुदा

अभी कुछ दिनों पहले मैंनें देखा था एक लाश चिथङ़ों में लिपटी सङ़क के किनारे बदबू फ़ेकती हुई एक लाश करीब गई देखा गौर से तो पाँव तले ज़मीन ख़िसक गई वो और कोई नहीं मेरे जैसी ही कोई थी उसमें मेरा ही अक्स था या कि था पूरे समाज का आधुनिकता का एकान्तता का पूरे हिन्दुस्तान का अक्स करोङ़ों की इस भीङ़ में हर कोई तन्हा, गुमशुदा ख़ुद को ढ़ूढ़ता हर कोई मानस की गहराई में लेकिन फ़िर भी क्यों है वो तत्पर समा जाने को उन अतल गहराईयों में शायद यही उसकी नियति है यही प्रारब्ध।

Tuesday, January 8, 2008

एहमियत

एहमियत खुद कि एहमियत पता न थी कांच का टुकडा समझते रहे तराश कर तुमने हमे नायब हिरा बना दिया

गौर फरमाइएगा.......

दोस्तों, फैज़ की एक कविता है जो मुझे बेहद पसंद है। आप लोगों के लिए पेश है:- ये धूप किनारा शाम ढले, मिलते हैं दोनो वक़्त जहाँ, जो रात ना दिन, जो आज ना कल, पल भर को अमर, पल भर में धुआं। इस धूप किनारे पल दो पल होठों की लपक बाहों की खनक ये मेल हमारा झूठ ना सच क्यों रार करें, क्यों दोष धरें किस कारण झूठी बात करें जब तेरी समंदर आंखों में इस शाम का सूरज डूबेगा सुख सोयेंगे घर दर वाले और राही अपनी राह लेगा।। अमित मिश्रा, सीएनईबी

जो अब बस तुम्हारा है

ख़तम न हो कभी सिलसिले जो अब तुमसे बने है मिटे न कभी अपने फासले जो अब नज्दिकिया बनी है टूटे न कभी मन के धागे जो अब तुमसे जुडे है बहे न कभी अब आंसू जो तुमने बांधे है महकता रहे अब प्यार जो अब तुमसे मिला है हर सांस में रहे इक नाम जो अब बस तुम्हारा है कीर्ती वैद्य

धर्म की लड़ाई पीछा नही छोडेगी।

एक ख़बर- दोपहर दो सांडों की लङाई के कारण सङक पर यातायात बीस मिनट तक बाधित रहा। जब इसकी शिकायत सिटी मजिस्ट्रेट से की गई तो उन्होंने सांडों के लङने के लिए शहर में अलग से अखाङा खोलने का आश्वासन सङक पर चलने वालों को दिया। जिला प्रशासन अब सांडों से अनुरोध करेगा कि वे सङक को अखाङा बनाने की बजाय अखाङे में ही जाकर जोर-आजमाइश करें। मोनिका- कहीं एक सांड़ हिन्दू और दूसरा मुसलमान निकल आता तो लड़ाई धार्मिक हिंसा का रूप ले लेती और यह खबर स्थानीय की जगह राष्ट्रीय बन जाती। मोनिका तोमर, सीएनईबी

बीबीसी- Search of an Indian partner

BBC is in a search of an Indian partner for the balance 74% stake. India stands second among six key focus countries for the BBC regional language expansion. Hindi news channel proposal which is likely to be a pay channel had been sent to London, sources said. The channel would be made available on both directto-home and conditional access system platforms. BBC has done an in-house research on the Hindi news market which reveals that there is definite scope for a 24-hour Hindi news channel for the Indian middle-class.
The company had approached consultants KPMG in July this year to suggest possible partners for the Hindi channel. KPMG recommended Reliance Industries, the Tata Group and Bharti as the best possible associates for the news channel. The suggested companies are not involved in the business of broadcasting at present. BBC World has finalized six languages for launching 24-hour news channel by 2012. BBC strategy include launch of an Arabic channel in 2007, Hindi and Urdu channels by 2008, Russian and Spanish channels between 2009and 2012. The Urdu channel will make its way in both Pakistan and India.

JANASHEEN

kabhi khul ke milo tanhai mein hum se
to baaten hum bhi do-char karen

kabhi rutho tum aur manayen hum

gile shikve lakh hazar karen

ruth kar chali bhi jao agar tum

tumhare aane ka intzar karen

are tum jaisi mahbooba ho to janasheen

har dil chahe ki tum se pyar karen

Sunday, January 6, 2008

देखिए आप हमे चन्दा ना कहलाये

देखिए आप हमे चन्दा ना कहलाये ये सुनकर आज कल हमसे पहले वो आसमान का चाँद ही शरमाये जो लफ्जे तारीफ आप हमारी करते हो चाँद उनसे अपना दिल है बहलाए शाम ढलते तुरंत ही प्रतीक्षा करता ताकि आप उसे सबसे पहले नज़र आये इसे जलन कहे या और कुछ पता नही हम अपने दीवाने मन् को कैसे समझाए हम इस उलझन में बावरे से फिरते चाँद आपको हमसे कही दूर न ले जाये .

Friday, January 4, 2008

आस

रुके थे कभी ज़िंदगी की राहो पर राह देखी थी तुम्हारी हर दिन,हर रात हर लम्हा,हर घड़ी बेसुद से खड़े रहे हर आने जाने वाले को पूछा, कही उन्हे तू नज़र आया किसीने देखा हो तेरा साया किसी को पता हो अगर तुझ तक पहुँचे जो डगर पर कोई जवाब नही एक हमारे सिवा किसी को तू याद नही तेरी तलाश में आख़िर हम खुद चल दिए इस गली से उस गली मुसाफिर बन लिए आज तक चल ही रहे है बस एक उमिद में के किसी मोड़ पर शायद तुम नज़र आओ फिर दुबारा जमी पर ही तुम हमे मिल जाओ…………

हकीकते हिंदोस्तान

झूठा सच है,अधूरा ख्वाब है, क्या कहें तुमसे जिंदगी अजा़ब है । भूख में गरीबी में हर तडपती साँस में, जिंदगी सवाल है,तो मौत ही जवाब है । इस मुल्क में सुना है इंसान बेहिसाब है, रियासतों में भुखमरी,नेता यहाँ नवाब है । वहशतों के दौर में बढा रहे हैं हाथ जो, जुर्म हर सफे पे है,मुल्क ऐसी किताब है । मुशकिलातों के सफ़र में ये हुक्मरान अजी़ब हैं घर तो है पर छत नहीं और बारिश बेहिसाब है । सोनें का था जो चमन अब क्यों वीरान है, मुरझा चुका है फूल ये तुम कहते हो गुलाब है । बदलेगें तस्वीर मुल्क की कह रहे थे जो कभी, रह रहें है महलों में वो वाह क्या इंकलाब है । अनुराग अमिताभ

ज़िन्दगी के पन्ने....

ज़िन्दगी के पन्ने बिन पूछे भरे मिलते है बस अपना अपना किरदार निभाना होता है उसके अनुसार अपने को ढालना पड़ता है कभी मस्त- कभी बेकार लगे रोज़ का नाटक क्यों नहीं कोई फाड़ देता इन पन्नों को या मेरा किरदार अब ख़तम हो यंहा पर कीर्ती वैदया

रंगकर्मी अब ऑरकुट और गूगल ग्रुप पर.......


सभी साथियों को जानकर खुशी होगी कि "रंगकर्मी" की लोकप्रियता लगातार बढ रही है। अब आप लोग रंगकर्मी को Orkut पर भी पायेगें। Orkut पर Rangkarmi के नाम से ही एक Communiti बना दी गयी है। इस Communiti पर पत्रकारिता, रंगकर्म और रंगकर्मी से जुड़े सभी साथियों का स्वागत है। इसके साथ ही रंगकर्मी अब आप को Google Group में भी नज़र आयेगा। आप इसे Rangkarmi के नाम से ही यहां देख सकते हैं। इस ग्रुप मे भी आप सभी साथियों का स्वागत है।
और एक खास बात..... हमें हर दिन रंगकर्मी की सदस्यता के लिये लोगों के मेल आ रहे है। हम सदस्यता के लिये मेल करने वालों से लगातार ये निवेदन कर रहे हैं कि वो मेल करते समय अपना औपचारिक परिचय और स्थान ज़रुर लिखें। रंगकर्मी पर आये सभी नये साथियों का स्वागत....... सभी से एक अलग अन्दाज की उम्मीद के साथ.......

आपका......
परवेज़ सागर

सूरत बदलनी चाहिये......

हो गयी फिर पर्बत सी पिघलनी चाहिये इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिये हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गांव में हाथ लहराते हुये एक लाश चलनी चाहिये सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिये मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिये
लाल सलाम गौरव

Thursday, January 3, 2008

वही पलाश के फूल लाना तुम

वही पलाश के फूल लाना तुम चले जो कभी लहराती हवाये काया को मृदुसी छुकर जाये हमारी छुअन का आभास कराये हमारी याद दिल को सताए बिन बुलाये पास चले आना तुम जो हमारे प्यार के गवाह सदा है साथ वही पलाश के फूल लाना तुम | कभी जो बहारों का मौसम आये रंगो से सारी अवनी सज जाये हमारी ख़ुशबू का आभास जताए हमसे मिलन को तरसाए याद कर हमे यूही मुस्कुराना तुम जो हमारे साथ महके सदा है साथ वही पलाश के फूल लाना तुम | कभी जो पुकारे बेसुद घटाए प्यार की बुन्दो को बरसाए हमारी बाहो का आभास कराए हमारी तन्हाई और बढ़ाए प्यार की सुरीली मेहफ़ील सजाना तुम जो हमारे संग गाते सदा है साथ वही पलाश के फूल लाना तुम | कभी जो नभ पर चाँद आये अपनी शीतल चाँदनी बिखराये हमारे अक्स का आभास कराए हमे देखने जिया मचल जाये पलको में अपनी हमे बसाना तुम जो हमारे साथ रौशन सदा है साथ वही पलाश के फूल लाना तुम |

ख्वाहिश

मन के झरोके से झाकती और उठती ख्वाहिशो की छोटी लहरें हर दिन नया जनम लेकर आती है देखती है ख्वाब संपूर्ण होने का तितली सी बनती चंचल पतंग बन आसमान में करती हलचल कोई ख्वाहिश पूरी होती है अपना नया चेहरा लेती है बाकी बिखर जाती है दिल के गलियारे में गिरकर,हसती,खिलती फिर उमड़ पड़ती नयी रूह लेकर जुड़ जाती ख्वाहिशो के कारवाँ से जो कभी थमता नही....

रंग्कर्म और रंगकर्मी

यूं तो मैं "रंगकर्मी" से काफ़ी समय से जुड़ा हुआ हूं पर आज पहली बार आप सभी बुद्धीजीवियों के बीच में कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं. क्यूंकि मैं ये समझता हूं कि मैं चाहे और कुछ भी हूं एक अच्छा लेखक तो नहीं ही हूं. रंगकर्म....पहली बार ये शब्द सुना था जनवरी 1998 में जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ रंकर्मियों से परिचित कराया (परवेज़ भी उन्हीं में से एक थे). इन सब से मिलकर बहुत अच्छा लगा...अच्छा इसलिये नहीं लगा क्यूंकि ये लोग नाटक करते हैं बल्कि इसलिये कि "ये" लोग सिर्फ़ नाटक नहीं करते....वो शायद इसलिये क्यूंकि मैं सिर्फ़ रंगकर्मियों से नहीं बल्कि "भारतीय जन नाट्य संघ - इप्टा" के क्रन्तिकारियों से मिल रहा था. बिना एक भी दिन गंवाये, मैं भी इस आनदोलन का हिस्सा बन गया. और ये उस पहली मुलक़ात का ही असर है कि दस साल बाद भी "रंगकर्म" का मतलब मेरे लिये आन्दोलन ही है और रंगकर्मी, क्रन्तिकारी. वैसे रंगकर्म तो हमारे देश में बिना किसी मक़सद के भी होता है....ख़ैर छोड़िये! पहली पोस्ट है इसलिये ज़्यादा नहीं लिखूंगा...लेकिन हां एक जनगीत तो बनता है...आख़िर "रंगकर्मी" पर हूं.... this used to be one of my favorites.... एक हमारी और एक उनकी, मुल्क़ में हैं आवाज़ें दो, अब तुम पर है कौनसी तुम आवाज़ सुनो तुम क्या मानो. हम कहते हैं जात धर्म से इन्सां की पहचान ग़लत, वो कहते हैं सारे इन्सां एक हैं ये ऐलान ग़लत, हम कहते हैं नफ़रत का जो हुक़्म दे वो फ़रमान ग़लत, वो कहते हैं ये माने तो सारा हिन्दोस्तान ग़लत. हम कहते हैं भूल के नफ़रत प्यार की कोई बात करो, वो कहते हैं ख़ून ख़राबा होता है तो होने दो. एक हमारी और एक उनकी, मुल्क़ में हैं आवाज़ें दो, अब तुम पर है कौनसी तुम आवाज़ सुनो तुम क्या मानो. हम कहते हैं इन्सानों में इन्सानों से प्यार रहे, वो कहते हैं हाथों में त्रिशूल रहे तलवार रहे, हम कहते हैं बेघर बेदर लोगों को आबाद करो, वो कहते हैं भूले बिसरे मन्दिर मस्जिद याद करो. हम कहते हैं रामराज में जैसा हुआ था वैसा हो, वो कहते हैं ख़ून ख़राबा होता है तो होने दो. एक हमारी और एक उनकी, मुल्क़ में हैं आवाज़ें दो, अब तुम पर है कौनसी तुम आवाज़ सुनो तुम क्या मानो. अब तुम पर है कौनसी तुम आवाज़ सुनो तुम क्या मानो. अब तुम पर है कौनसी तुम आवाज़ सुनो तुम क्या मानो. धन्यवाद गौरव!

Wednesday, January 2, 2008

तुझ संग जीने-मरने लगे ...........

क्या है, कल्पना से परे जाना जब तुम्हे सपनो से परे विश्वास का हाथ थामे भाग चला जब मन, तेरे पीछे छोड़ सब रस्मे, बिन पूछे सबसे तुम संग जब, खाने लगा कस्मे प्रेम की अंधी सीढियो से आगे जुनूनी बदलो को पार कर के जब तुम संग जीने-मरने लगे ........... कीर्ती वैद्य........

बाबुल

नयनो की जलधारा को, बह जाने दो सब कहते पर तुम इस गंगा जमुना को मेरे बाबुल कैसे सहते इसलिए छूपा रही हूँ दिल के एक कोने में जहाँ तेरे संग बिताए सारे पल है रहते होठों पर सजाई हँसी,ताकि तू ना रोए इन आखरी लम्हों को,हम रखेंगे संजोए आज अपनी लाड़ली की कर रहे हो बिदाई क्या एक ही दिन मे, हो गयी हू इतनी पराई जानू मेरे जैसा तेरा भी मन भर आया चाहती सदा तू बना रहे मेरा साया वादा करती हूँ निभाउंगी तेरे संस्कार तेरे सारे सपनो को दूँगी में आकार कैसी रीत है ये,के जाना तेरा बंधन तोड़के क्या रह पाउंगी बाबुल, मैं तेरा दामन छोड़के.

शृंगार

शृंगार 1.बिंदिया,झुमका,पायल,बाजूबंद मैं सब कुछ पहनकर आउ एक काला तीट मुझे लगाना, सब की नज़र से मैं बच पाउ 2.पिया लुभावन, हर दिन में दुल्हन , चाहे सोला शृंगार करे शृंगार उसका अधूरा लागे,जब तक ना सिंदूर से माँग भरे 3.गोल गोल जो सदा घूमत रहे, मुझे वो ही गरारा चाहिए पिया मिलन से मैं शर्माउ,चहेरा छुपाने ओढनी भी लाइए 4.किन किन करते कंगना मेरे,खनक खनक सब कुछ बोले है लाज के मारे लब सिले है , तब कंगना दिल के राज़ खोले है 5.ठुमक ठुमक जब गोरिया चले है ,उसकी तारीफे कीजिए गा रूठे जो सजना से गोरी ,मनाए खातिर, नौलखा दीजिए गा

Happy New Year-2008

Rangkarmi ke Sabhi sathiyon ko Naye saal ki hardik shubhkamnayen Wish you all a very Happy New Year 2008. My Name is Monika Sharma (Mona) . I am the new member of Rangkarmi. I am very thanksful to Parvez sir.

Tuesday, January 1, 2008

नयी आराधना

समस्त सुधिजनो को भी आंग्ल नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं । आपके सत्य वचन को मेरा सादर नमन और वीणा की देवी को क्षमा के साथ नई ज़माने की आराधना वर दे वीणा वादिणी वर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, करना हो पत्रकारिता,तो कलम धर दे, बढना हो आगे तो जोरू या ज़र दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, खबर की कामना नहीं,मुझे सांप या अजगर दे, नभ ज़मीन का नहीं तो,जल की मछली मगर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, अज्ञानी कर रहे राज,मुझे भी अज्ञानता का वर दे, अच्छाई रखें आप,मुझमें कमीनापर,नीचता भर दे वर दे वीणा वादिणी वर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, माते है मेरा निवेदन जोश मुझमें ऐसा भर दे, पकडूँ मै गरदन नेता की,तलवार तू धर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, वर दे वीणा वादिणी वर दे, अनुराग अमिताभ

हो चमन रोशन...

ज़िन्दगी को हिन्द की ख़ुशबू बनाइये, आज रिसते जख़्म पर मरहम लगाइये । कैसा फ़साद मंदिर-मस्जिद का दोस्तों, हर कदम पर सबको हम सफ़र बनाइये । आज इंसा बेकसी में बेज़री में जी रहे, उस दर्द को सहलाइये नफ़रत मिटाइये । ग़म के बदले ग़म ही कुदरत देती है सदा, पत्थर दिलों पे प्यार की फ़सलें उगाइये। जांनिसारी देश की ख़ातिर करें हमलोग, हो चमन रोशन इसे महमह बनाइये। - भोगेन्द्र पाठक

दोस्तों नए साल की हार्दिक बधाइयां

दोस्तों, नए साल की हार्दिक बधाइयां।
उम्मीद है कि नये साल में आपके सभी सपने पूरे होंगे और आप कामयाबी की नई बुलंदियों को छुएंगे। छायावादी कवि निराला जी की लिखी एक प्रार्थना जो कई साल पुरानी है लेकिन फिर भी नई है। इसके एक-एक शब्दों में नई अनुभूति है। नए साल में मैं यही प्रार्थना करता हूं।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव भारत में भर दे।
काट अंघ उर के बंधन स्तर।
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर।
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।
नव गति नव लय ताल-छंद नव,
नवल कंठ नव जलद मंद रव।
नव नभ के नव विहग वृंद को,
नव पर नव स्वर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।

अमित कुमार मिश्रा, सीएनईबी।

नव वर्ष २००८ मंगलमय हो

सभी साथियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं,


नया साल आप सभी के लिये खुशहाली और सफलता लेकर आये


इसी
कामना के साथ.....


आपका
........

परवेज़ सागर

सुरक्षा अस्त्र

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