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Saturday, June 6, 2009

लो क सं घ र्ष !: उजाले नाम हमारा उछाल देते है ....

हमारी जान मुसीबत में डाल देते है
हमें हमारे वतन से निकाल देते है धमाके आप अंधेरो में कर गुजरते है उजाले नाम हमारा उछाल देते है
xxx----xxx---xxx--xxx ----xxx बेखौफ़ घर से निकले सलामत ही घर में आएं बच्चे बुरी बालाओं से हम सबके बच ही जाएं दीवार गिर रही है अगर जुल्म की तो 'सै़फ़' इंसानियत के जितने भी दुश्मन है दब ही जाएं xxx-----xxx-----xxx-----xxx---xxx ग़ज़ल फिर तड़प के करार लिखना है इश्क़ लिखना है प्यार लिखना है ज़हर का है असर फिज़ाओ में और हम को बहार लिखना है लेके सर आ गए है मकतल में दोस्तों की ये हार लिखना है ज़िंदगी का मुतालबा देखो ज़िंदगी को भी यार लिखना है 'सै़फ़' चल-चल के थक गए हैं हम अब सुकूं और क़रार लिखना है मोहम्मद सैफ बाबर मोबाइल -09936008545

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