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Saturday, June 6, 2009

लो क सं घ र्ष !: गाती है मेरी कविता

पावन उद्देश्य हमारा करता है धुतिमय सविता। चुप निशा उतर आती है, गाती है मेरी कविता ॥ करूणानिधि की वत्सलता विस्मृति का वरदान मिला है। अनवरत तरंगित होती स्मृति से अंकित समय शिला ॥ मेरी पीड़ा जन्मी है प्रतिभा की प्रतिमा बनकर कभी राम सीता बनकर कभी कृष्ण मीरा बनकर॥ -डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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