रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत है। सदस्यता और राय के लिये हमें मेल करें- humrangkarmi@gmail.com

Website templates

Wednesday, June 10, 2009

लो क सं घ र्ष !: रसधार नही जीवन में...

रसधार नही जीवन में , है निर्बल वाणी कहती। अनुरक्ति यहाँ छलना है मन आहात करती रहती॥ मृदुला में कटुता भर दी, कटुता में भर दी ज्वाला। वेदना विहंस बाहों की दे डाल गले में माला॥ है बीच भंवर में चक्रित, नैया कातर मांझी है। काल अन्त निर्मम वियोग वेदना विकल आंधी है॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

No comments:

सुरक्षा अस्त्र

Text selection Lock by Hindi Blog Tips