 शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥
मन को उव्देलित  करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥
पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥
मन को उव्देलित  करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥
पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
Thursday, June 25, 2009
लो क सं घ र्ष !: अब चेतन सी लहराए...
 शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥
मन को उव्देलित  करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥
पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥
मन को उव्देलित  करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥
पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
 
 

 


No comments:
Post a Comment