Thursday, June 25, 2009
लो क सं घ र्ष !: अब चेतन सी लहराए...
शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥
मन को उव्देलित करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥
पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment