रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत है। सदस्यता और राय के लिये हमें मेल करें- humrangkarmi@gmail.com

Website templates

Tuesday, June 2, 2009

तुम्हारे बिना जिंदगी...

तुम्हारे बिना जिंदगी यू कटी-
कि जैसे दिया ज्योति के बिन जले।
स्वप्न साकार दर्शन से होने लगे-
निमंत्रण मौन अधर देने लगे,
मन के दर्पण में मूरत बसी इस तरह,
कोरे सपनो में भी रंग भरने लगे,
छोड़ मझधार में ख़ुद किनारे लगे
बोझ सांसो तले रात दिन यूँ चले
जैसे मंजिल बिना कोई राही चले- । साँस की राह पर प्यार चलता रहा,
रूप की चांदिनी में वो बढ़ता रहा।
नैन की नैन से बात होती रही ,
प्रेम व्यापार में मन ये बिकता रहा। आंसुओं के तले पीर दुल्हन बनी
वो सुहगिनि मिली यू मिलन के बिन-
जैसे मोती के बिना सीप कोई मिले -डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

No comments:

सुरक्षा अस्त्र

Text selection Lock by Hindi Blog Tips