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Monday, June 1, 2009

किसी के प्यार के बिना

ऐसे बीती जिंदगी किसी के प्यार के बिना। जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना
कोरे सपने रंग को तरसे
तरुबाई तरसे मधुबन को -
रूप चांदिनी को मन तरसे सुधि तरसे आलिंगन को-
ऐसे योवन का बसंत है बहार के बिना। जैसे कोई प्रेम सुहागिनी हो श्रींगार के बिना॥ सारांश यहाँ ......आगे पढ़े

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