 ऐसे बीती जिंदगी किसी  के प्यार के बिना।
जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना ॥
ऐसे बीती जिंदगी किसी  के प्यार के बिना।
जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना ॥
कोरे सपने रंग को तरसे
        तरुबाई तरसे मधुबन को -
        रूप चांदिनी को मन तरसे
 सुधि तरसे आलिंगन को-
ऐसे योवन का बसंत है बहार के बिना।
जैसे कोई प्रेम सुहागिनी हो श्रींगार के बिना॥
सारांश यहाँ  ......आगे पढ़े    
 
 

 


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