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Saturday, February 2, 2008

विज़न २०२०

हरी नीली लाल पीली बड़ी बड़ी तेज़ रफ़्तार भागती मोटरें और उनके बीच पिसता घिसटता आम आदमी हरे भरे हरियाले पेडों के नीचे बिखरी हरी काली सफ़ेद लाल पन्नियाँ और उनको बीनता बचपन सड़क किनारे चाय का ठेला लगाती वही बुढ़िया और चाय लाता वही छोटू बडे बडे डिपार्टमेंटल स्टोरों में पाकेट में सीलबंद बिकता किसान भूख से खुदकुशी करता पांच सितारा अस्पताल का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री की तस्वीर को घूरती सरकारी अस्पताल में बिना इलाज मरे नवजात की लाश इन सबके बीच इन सबसे बेखबर विकास के दावों की होर्डिंग्स निहारता मैं और मन में दृढ करता चलता यह विश्वास कि हां २०२० में हम विकसित हो ही जाएँगे दिल को बहलाने को ग़ालिब ....................

4 comments:

Unknown said...

shaandar mayank ji. kamaal ki majbuti hai apke shabd chunavo; saral aur spasht, bilkul satik.

मयंक said...

shukriya Garima

Asha Joglekar said...

बहुत अच्छा लिखते हैं आप । काफी गंभीर चिंतन छलकता है लेख में ।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

MAYANK...LAGTA HAI BESHAK 2020 MEIN HAM VIKSIT HO JAYENGE...
UNHEEN SANDARBHON MEIN JINKA ZIKRA KAVITA MEIN HUA HAI...?
BAHARHAL...ZAMEENEE HAQEEQAT SE PARDA UTHATEE HAI AAPKEE PRASTUTI.
TOUCHING ..N..
THOUGHT PROVOKING.
KEEP IT UP...
SHAMAN JALAYE RAKHO
KITNA BHEE ANDHERA HO.

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