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Friday, February 15, 2008

अजीब बात

हाँ, अजीब ही लगा आज, जब देखा किसी ने मेरे घर का दरवाजा खटखटाया । जान न पहचान फ़िर भी अपनी बहना बनाया

बे-वजह हमारा रोज़ हाल चाल पूछा, बड़ी फुरसत से हमारे साथ चाय का प्याला थामा ।

एक दिन हमने यूँही कह दिया भाई अपने जो टोपी पहनी है, यह किसी ओर के सर पर मैंने देखि है। लो, हो गए वो शुरू.....अंडे क्या, पडे हमे दुनिया जहाँ के डंडे....कमाल की बात तों यह की हमे दुनिया का सबसे बड़ा "भ्रमित इंसान " के नाम से नवाजा। हम पर नकारा ओर फालतू का इल्जाम डाला।

उनकी इस हरक़त से हमने मोहल्ला क्या अपना बचपन का शहर भी त्यागा।

लेकिन हद तब पार हुई जब फ़िर एक दिन उन्हे अपना दरवाजा खटखटाते पाया। दांत उनके बहार, वही बेरहम मासूम हँसी छलका वो बोले " दीदी, छोटे भाई को माफ़ी न दोगी , छोडो, अब वो पुरानी बात ....नए घर ओर शहर में हमे चाय नही पूछेंगी।

हमारी तों जान निकल गई क्या अब यह हमसे चाहते है ..खेर अपने ज़स्बतो को दबा हमने पूछा, भाई जी हमारा पता आपको किधर से मिला ?

बड़ी नमर्ता से फ़िर हमारे भाई बोले हम दीदी अब आपके ही शहर में शिफ्ट हो गए है ओर इश्वर के कृपा से आज फ़िर आपके पड़ोसी बन गए है। जैसे ही हमने पड़ोस के दरवाजे पर नज़र दौडाई आपके नाम के नेम प्लेट पाई, तुरंत समझ गए अपनी प्यारी बहना का घर है , फ़िर काहे के शर्म ओर बजा दी घंटी।

अब तक हम समझ गए थे फ़िर बदलना होगा हमे अपना घर, लकिन अबकी बार बस घर ओर मोहल्ला न के शहर ...

कीर्ति वैद्य....

2 comments:

SANYAS BHI HO SANSAR BHI HO said...

GUD ONE....
KEEP IT UP............

MY WISHES WID U

SAHIL

satyandra yadav said...

bahoot achha ....

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