Monday, February 11, 2008
हाईटेक प्यार का मौसम
मौसम प्यार का हो गया हाईटेक
प्रेम की भाषा मैसेजिंग , चैटिंग और मेल
अब बादल नहीं ले जाते संदेश
पत्र की भेष में एस एम एस
जज़्बात नही जिस्म बोलते हैं
सिर्फ जिस्म नहीं ! दिल रोज बदलते हैं
वे दिन थे जब प्रेमिका देती थी काढायीदार रुमाल
जिसमें होता था प्यार का अलग खुमार
कूल है हम फिर भी फूल है ?
क्योंकि , आत्मीयता ,आवेग और प्रतिबद्धता की बत्ती गुल है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
well kavita ke bhav achey hai par kavita mein trutiya saf chalak rahi hai....lay kavtia ka toot reha hai
अलग सी, अच्छी कविता ।
Post a Comment