कितने सवालो का अम्बार
क्यों? कब? केसे?
उफ़.....
कंहा और केसे समेटू
किस सिरे को पकड़
किस ओर तह मोडू
हाँ ....
सिमट तो जायेगा
ओर सहज भि
पर कबतक
ऐसे झूठ को नापू
कीर्ती वैदया
Monday, February 18, 2008
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3 comments:
झूठ को नापना और पकड़ना दोनों ही कठिन कार्य की श्रेणी मे आते हैं.... अगर आप इस कार्य को कर रहें हैं तो हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आपको नापना होगा.... और ये नामुमकिन तो नही लेकिन बहुत मुश्किल ज़रुर है जनाब...... लगे रहिये..... लिखते रहिये.... और जारी ऱखिये झूठ के खिलाफ जंग
jhooth ko pakadane ke liye jhootha banana padata hai.... jhooth ka koi paimana nahi hota hai .... jab sachchai ka kona pakadengi to ... jhoot apneaap nap jayega...
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