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Wednesday, November 5, 2008

"प्यार बेशुमार लिखूं"

"प्यार बेशुमार लिखूं"
अपने खामोश तकल्लुम मैं ये इज़हार लिखूं, हर जगह तेरे ही एक नाम की तकरार लिखूं... एक हरकत भी कलम की हो तुझे प्यार लिखूं, प्यार तू एक लिखे मैं तुझे सो बार लिखूं.... बेकरारी भरे दिल का तू ही है करार लिखूं, अपनी इन तेज बदहवास धड़कनों की रफ़्तार लिखूं... आज लाया हूँ तुझे दिल का ये उपहार लिखूं, हाँ मिलन के है अब बहुत जल्द ये आसार लिखूं.... तेरी नज़रों ने जो उठाया है वो खुमार लिखूं ,
अपने हर लफ्ज़ से तुझे प्यार बेशुमार लिखूं...

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

sokhiyon me ghola jaye fulo ka khumar, usme firmilai jaye thidi see sharab, hoga fir nasha jo tayar wo pyar hai.
narayan narayan

Bandmru said...

प्यार बेशुमार लिखूं"
ya fir tere chehre ka nikhar likhu.

bahut aachchha ......

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