Thursday, November 6, 2008
यमराज को भाई बनाया
हिंदुस्तान की संस्कृति उसकी आन बान और शान है। दुनिया के किसी कौने में भला कोई सोच भी सकता है कि मौत के देवता यमराज को भी भाई बनाया जा सकता है। श्रीगंगानगर में ऐसा होता है हर साल,आज ही के दिन। महिलाएं सुबह ही नगर के शमशान घाट में आनी शुरू हो गईं। हर उमर की महिला,साथ में पूजा अर्चना और भेंट का सामान,आख़िर यमराज को भाई बनाना है। यमराज की बड़ी प्रतिमा, उसके पास ही एक बड़ी घड़ी बिना सुइयों के लगी हुई, जो यह बताती है की मौत का कोई समय नहीं होता। उन्होंने श्रद्धा पूर्वक यमराज की आराधना की उसके राखी बांधी, किसी ने कम्बल ओढाया किसी ने चद्दर। यमराज को भाई बनाने के बाद महिलाएं चित्रगुप्त के पास गईं। पूजा अर्चना करने वाली महिलाओं का कहना था कि यमराज को भाई बनाने से अकाल मौत नहीं होती। इसके साथ साथ मौत के समय इन्सान तकलीफ नही पाता। चित्रगुप्त की पूजा इसलिए की जाती है ताकि वह जन्मो के कर्मों का लेखा जोखा सही रखे। यमराज की प्रतिमा के सामने एक आदमी मारा हुआ पड़ा है,उसके गले में जंजीर है जो यमराज के हाथ में हैं। चित्रगुप्त की प्रतिमा के सामने एक यमदूत एक आत्मा को लेकर खड़ा है और चित्रगुप्त उसको अपनी बही में से उसके कर्मों का लेखा जोखा पढ़ कर सुना रहें हैं। सचमुच यह सब देखने में बहुत ही आनंददायक था। महिलाएं ग़लत कर रही थी या सही यह उनका विवेक। मगर जिस देश में नदियों को माता कहा जाता है वहां यह सब सम्भव है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
यह तो बहुत अच्छा रहा यमराज को ही भाई बनालो। उसपर तो फिर रक्षा करने का दायित्व आगया न । इस अपने देश को जितना जानो उतना ही ये आश्चचर्याऩ्वित करता है ।
aachchhi khoj... jankari ke liye thanks.........
bharat desh hi hai eaisa.
Post a Comment