इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं ,
दूर जुदा रह कर भी ख्यालों मे मुलाकातें होती हैं....
हमको वफा का इनाम दिया , जी भर के इल्जाम दिया ,
तुमने हमको भुला दिया ये सोच के ऑंखें रोती हैं....
क्या खोया क्या पाया था जीवन युहीं गवांया था ,
तुमने भी ठुकराया है अब खोने को सांसें होती हैं.....
एक बोझ मगर सीने मे है , कौन सा ऐसा जुर्म हुआ ,
चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं
8 comments:
Bhavparak.
guptasandhya.blogspot.com
एक बोझ मगर सीने मे है , कौन सा ऐसा जुर्म हुआ ,
चाहत मे मर मिटने की क्या खोफ-जदा "सजाएं" होतीं हैं
great lines again
regards
i just purchesed the bull because sensex is turning bearish
काफी अच्छा लिख लेती है. आगे भी पड़ने को मेलेगा
इस खामोशी मे भी हरदम तुमसे बातें होतीं हैं ,
दूर जुदा रह कर भी ख्यालों मे मुलाकातें होती हैं...
बहुत बढिया!सुन्दर रचना है।
kisi se juda hona ek aisi saja hoti hai jo zindgi bhar chupchap katani padti hai, koi sunwai nahi. narayan narayan
" aap sbhee ke preceious comments ka bhut bhut shukriya"
Regards
एक बार फिर बहुत अच्छी रचना पढ़ने को मिली। धन्यवाद।
jurm koi kiya ho to batayega koi.bahut khub likhatin hain aap
narayan narayan
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