"वीरानो मे"
खामोश से वीरानो मे,
साया पनाह ढूंढा करे,
गुमसुम सी राह न जाने,
किन कदमो का निशां ढूंढा करे..........
लम्हा लम्हा परेशान,
दर्द की झनझनाहट से,
आसरा किसकी गर्म हथेली का,
रूह बेजां ढूंढा करे..........
सिमटी सकुचाई सी रात,
जख्म लिए दोनों हाथ,
दर्द-ऐ-जीगर सजाने को,
किसका मकां ढूंढा करें ...........
सहम के जर्द हुई जाती ,
गोया सिहरन की भी रगें ,
थरथराते जिस्म मे गुनगुनाहट,
सांसें बेजुबां ढूंढा करें................
5 comments:
सहम के जर्द हुई जाती ,
गोया सिहरन की भी रगें ,
थरथराते जिस्म मे गुनगुनाहट,
सांसें बेजुबां ढूंढा करें................
great compostion
regards
very nice dear
nice blog!!!!!
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गुमसुम सी राह न जाने,
किन कदमो का निशां ढूंढा करे..........
Kitni saarthakta hai in panktiyo.n mein - khaas taur se ham jaise bhula diye gaye dosto.n ke liye...
Badhayee...
"jakham liye dono hath" itne jakham aate kahan se hain. kalyan ho. narayan narayan
खामोश से वीरानो मे,
साया पनाह ढूंढा करे,
गुमसुम सी राह न जाने,
किन कदमो का निशां ढूंढा करे..........
aachchhi bhavna......
kuch mujhe bhi likhne ko man hua....
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