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Monday, November 17, 2008

"कतरा कतरा"

"कतरा कतरा" कतरा कतरा दरया देखा , कतरे को दरया में न देखा , लम्हा लम्हा जीवन पाया, जीवित एक लम्हे को न पाया, आओ हम दोनों मिलकर एक लम्हे को जिंदा कर दें, प्रेम प्रणव से जीवन भर दें

7 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

बहुत खूब।

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

आओ हम दोनों मिलकर
एक लम्हे को जिंदा कर दें,
प्रेम प्रणव से जीवन भर दें
Only u can write such beautiful lines...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

हा..हा..हा..हा..हर लम्हा जीवित ही है...मरी हुई चीजें कहीं हममे प्राण भर सकती हैं??अलबत्ता हम किन्ही वजहों से जीवन से रुसवा हो जाता हैं...रुसवा होना मतलब..नफरत.....और जिंदादिल होना...मतलब प्यार....और प्यार सीखकर तो आता नहीं...वो तो बस........

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

rankarmi kaa hissa banane ke liye mujhe link bheji gayi aisa mujhe bataya gaya....magar mujhe vo mail ab tak to nahin mili...ye majra kya hai...pliz batayen naa...!!

Bandmru said...

kya baat hai..........

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah! kisi ko jeevan dena sabse bada punay hai. narayan narayan

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

कतरा-कतरा क्या मिला....कतरा-कतरा आग
कतरा-कतरा सूर है... और कतरा-कतरा राग !!
जीवन का तो मर्म क्या समझ पाये....आदम
थोड़ा-सा तो कर्म है और थोड़ा अपना "भाग" !!
इतना सपना मत देख..सपना इतना सच नहीं
सच तो सामने है देख..आँखे खोल और जाग !!
हाँ भइया मुश्किल तो बहुत है जीना मेरे प्यारे
लेकिन मुश्किल में जीना ही तो जीवन का राग !!
अजीब है ये जीवन कि कुछ लोग तो हैं खुशहाल
कुछ लोगों का बेहाल, और दामन भी है चाक !!
राख हो रहे हैं हर पल ख़ाक हो जाने को हैं अब
साँस-साँस हम जलें और हर धड़कन है इक आग
सुबह से शाम तक हर वक्त की यूँ ही है भाग-दौड़
ये भी कोई जीवन है"गाफिल",ये तो है खटराग !!

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