Saturday, November 29, 2008
चुनावी हवा बह रही है ...
राजनीत की रसोई में नित बनते नए पकवान 
चुनावी हवा बह रही है सुनो नेताओं के गुणगान 
सुनो नेताओं के गुणगान जो लगे हैं देश को बांटने 
गली गली में घूम रहे हैं सिर्फ़ वोटरों को आंकने 
कह सुलभ कविराय आज सुनलो सारे उम्मीदवार 
सीधे नरक में जाओगे जो चुनोगे जाती-धर्म की दीवार ॥ 
सुलभ पत्र - Hindi Kavita Blog 
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