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Monday, November 3, 2008

कुत्ते को घुमाते हैं शान से

---- चुटकी---- बुजुर्ग माँ-बाप के साथ चलते हुए शरमाते हैं हम, अपने कुत्ते को सुबह शाम घुमाते हैं हम। ------ अधिकारों के लिए लगा देंगें अपने घर में ही आग, अपने कर्त्तव्यों को मगर भूल जाते हैं हम। ---- कश्मीर से कन्याकुमारी तक खंड खंड हो रहा है देश फ़िर भी अनेकता में एकता के नारे लगाते हैं हम। ---- सबको पता है कि बिल्कुल अकेले हैं हम, हम, अपने आप को फ़िर भी बतातें हैं हम। ---गोविन्द गोयल

2 comments:

पुरुषोत्तम कुमार said...

आपकी चुटकियों का भी जवाब नहीं।

Asha Joglekar said...

Bahot Khoob!

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