रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत है। सदस्यता और राय के लिये हमें मेल करें- humrangkarmi@gmail.com

Website templates

Thursday, September 17, 2009

लो क सं घ र्ष !: सुन मानस स्वर का क्रंदन....

नव पिंगल पराग शतदल, आशा विराग अभिनन्दन। नीरवते कारा तोड़ो, सुन मानस स्वर का क्रंदन॥ माया दिनकर आच्छादित, अन्तस अवशेष तपोवन। मानो निर्धन काया का , अनुसरण अधीर प्रलोभन॥ ये उल्लास मौन आसक्ति भ्रम जीवन दीन अधीर। सुख वैभव प्रकृति त्यागे, मन चाहे कृतिमय नीर॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"

1 comment:

सुरक्षा अस्त्र

Text selection Lock by Hindi Blog Tips