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Saturday, September 26, 2009

लो क सं घ र्ष !: विधि के विधान की कारा

तोड़ना नही सम्भव है, विधि के विधान की कारा अपराजेय शक्ति है कलि की, पाकर अवलंब तुम्हारा श्रृंखला कठिन नियमो की, विधना भी मुक्त नही है वरदान कवच से धरणी , अभिशापित है यक्त नही है हो अजेय शक्ति नतमस्तक , पौरुष बल ग्राह्य नही है तप संयम मुक्ति विजय श्री , रोदन ही भाग्य नही है डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही लिखा
धन्यवाद

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