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Wednesday, December 10, 2008

" मायाजाल"

" मायाजाल"
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे, यथार्थ को दरकिनार कर कुछ स्वप्नों ने सांसे भरी... छलावों की हवाएं बहती रही बहकावे अपनी चाल चलते रहे, कायदों को सुला , उल्लंघन ने जाग्रत हो अंगडाई ली.. द्रढ़निश्चयता का उपहास कर संकल्प मायाजाल में उलझते रहे, ह्रदय के मानचित्र पर पल पल तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..

4 comments:

Asha Joglekar said...

wah !

ss said...

"छलावों की हवाएं", "कायदों को सुला" बहुत अच्छे लगे|

दिगम्बर नासवा said...

सुंदर है भावनाओं की अभिव्यक्ति
आपका कल्पना लोक बहुत सुंदर है

दिल का दर्द said...

विजय कुमार जी आपकी रचना सुंदर है

आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया पर मेरी ये कहानी नही हकीकत है

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