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Sunday, December 7, 2008

वो फिर न कभी हमराह हुआ

अरसा बिता तुम्हे देखा नही याद आए मगर तुम बहुत पल पल आवाज़ देकर भी तुम क्यूँ नही आते ? रूठने की कोई वजह तो हो इंतज़ार किया था उस दिन तुम्हारा शायद वक्त की अफरा तफरी हुयी अब मिओगे जहा ऐसी कोई जगह तो हो एक क्षण में बदल जाती ज़िन्दगी हर पल का दिल मोहताज हुआ जो छुटा पल पीछे इंसान के हाथ से वो फिर न कभी हमराह हुआ

2 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

जो छुटा पल पीछे इंसान के हाथ से
वो फिर न कभी हमराह हुआ

बिलकुल सही बात.

Jimmy said...

Kiyaa Baat Hai Bouth He Aacha post Kiyaa Aapne Read Ker ki Majaa aaaiya good going sis


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