अपना हिंदुस्तान जो वादियों का देश है तो लीजिये कुछ पंक्तियाँ पेश है...
वे देश मे अलगावादी की भूमिका निभाते हैं स्वयं को समर्पित राष्ट्रवादी बताते है। इस लोकतांत्रिक गणराज्य के, समाजवाद हिंदुस्तान के -स्वयंभू साम्यवादी, जनवादी, मनुवादी, इत्यादि इत्यादि खुद को बताते हैं ।
वैसे हमारा हिंदुस्तान सदियों से जकरा हुआ है, ना जाने किन किन वादियों के बोझ से दुहरा हुआ है। चुनाव मे जातिवादी, नौकरी मे भाई भातिजवादी, वादियों मे आतंकवादी, घाटियों मे उग्रवादी और जंगलों मे नक्सलवादी।हाय हम और आप सिर्फ वादी और प्रतिवादी। लेकिन याद रहे एक वादी जो सब पे भारी है वो है बढ़ती हुई आबादीजी हाँ बढ़ती हुई आबादी ॥
1 comment:
भई रंगकर्मी जी, अपने कू तो पहाडी वादियाँ ही दिखाई देती है. इसके अलावा कोई वादी नहीं है. आपने नेगेटिव वादियों का नाम तो ले लिया, जरा एक बार गढ़वाल की वादियाँ, कुमाऊँ की वादियाँ, हिमाचल की वादियों का नाम भी ले लेते.
अच्छी पोस्ट.
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