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"तुम्हारा है "
जो भी है वो तुम्हारा ...
यह दर्द कसक दीवानापन ...
यह रोज़ की बेचैनी उलझन ,
यह दुनिया से उकताया हुआ मन...
यह जागती आँखें रातों में,
तनहाई में मचलना और तड़पन ..........
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
जो भी है वो तुम्हारा है
4 comments:
sundar rachanaa hai.
ये आंसू और बेचैन सा तन ,
सीने की दुखन आँखों की जलन ,
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
वाह बहुत बढ़िया।
BAHUT ACHCHI RACHNA
कोन कहता हे आज कल कवि अच्चा नही लिखते...
विरह के गीत ग़ज़ल यह भजन,
सब कुछ तो मेरे जीने का सहारा है ........
बहुत बहुत धन्यवाद
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