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Saturday, September 13, 2008

"सजा"

"सजा"
आज ख़ुद को एक बेरहम सजा दी मैंने ,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी, " आग लगा दी मैंने ..."

4 comments:

तरुण गुप्ता said...
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तरुण गुप्ता said...
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तरुण गुप्ता said...

aapka blog aaj pehli baar dekha hai dekh kar sukoon milta hai ki rachnatmakta abhi zinda . ................

* મારી રચના * said...

bahetareen...andaaz hai saza dene ka... bahut hi umda tarike se alfazo ka sangam kiya hai....

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