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Monday, September 15, 2008

"किसको पता"

"किसको पता"
कोई गोली कहाँ चलेगी , किसको पता,
कोई बम्ब कहाँ फटेगा, किसको पता,
आज अभी तुम मांग सजा लो,
बिंदीया लगा लो,
कब ये मांग सूनी हो जाए किसको पता???
हरी-हरी ये कांच की चूडी जो मन भाए,
गोरे-गोरे हाथों पर तुम इन्हे सजा लो,
कब ये हाथ सुने हो जायें किसको पता???
अपने बाबा की गोदी पर आज ही चढ़कर,
अपने सारी की सारी जिद्द पुरी कर लो,
कब तुम भी लावारिस बन जाओ किसको पता???
नन्ही आँखों से सपना मत देखो ,
की तुम पायलट बनोगे,
कब नीला अम्बर शमशान बन जाए किसको पता???
आओ हम सब मिलकर कुछ ऐसा कर जायें,
हम हिन्दुस्तानी नही झुकेंगे- नही झुकेंगे,
चल जाएगा सब को पता -सब को पता"

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

आओ हम सब मिलकर कुछ ऐसा कर जायें,
हम हिन्दुस्तानी नही झुकेंगे- नही झुकेंगे,
चल जाएगा सब को पता -सब को पता"
बहुत ही सुन्दर भाव, एक सच
धन्यवाद

Asha Joglekar said...

सुंदर और सच्ची अभिव्यक्ती।

Bandmru said...

नन्ही आँखों से सपना मत देखो ,की तुम पायलट बनोगे,कब नीला अम्बर शमशान बन जाए किसको पता???
lajwab, bahut badhiya badhai...

Shambhu Choudhary said...

मैं तो हैरान हूँ कि आप इतने अच्छे भाव कहाँ से लाती हैं।

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