"तेरी चाहत"
तेरी हर अदा पे मुझे बस प्यार आता है,
जब मेरे साथ तू होती है करार आता है..
तेरी आँखें है सनम, या के हैं जाम-ऐ-शराब,
तेरी नज़रों को मैं देखूं तो खुमार आता है..
तू मेरे सामने है, ख्वाब हो , बेदारी हो,
अपनी बांहों में लिए तुझ को चला जाता हूँ..
तुझसे मिलने पे जो आजाए जुदाई का ख़याल,
दिल में तूफ़ान सा उठता ही चला जाता है..
तेरी चाहत की मेरे दिल में है हद कितनी,
कहाँ ग़ज़लों में या अल्फाज़ में कह पाता हूँ ..
2 comments:
आपके ब्लॉग को शायद मैंने पहली बार देखा है .। कलाम के द्वारा काफी अच्छी बात कही आपने ।
सीमाजी आपके कलाम वाकई बहुत खूबसूरत है ।
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