Monday, September 8, 2008
जायें तो जायें कहां..... चार घण्टे के बन्धक
परवेज़ सागर
बेपनाह मौहब्बत की अनमोल निशानी ताजमहल..... एक शंहशाह की प्यार की निशानी ताजमहल..... जो हर पल याद दिलाता है मौहब्बत के उस जज़्बे की जिसकी खातिर शाहजंहा ने दुनिया को ताजमहल की शक्ल मे एक शाहकार दिया। पूरी दुनिया मे ताज को मौहब्बत की मिसाल माना जाता है। लेकिन कोई सोच भी नही सकता कि आज ताजमहल की वजह से कई हजार लोग परेशान हो रहें हैं।
दरअसल, ताजगंज के आस-पास इस परेशानी का आगाज़ रात मे ताज को खोले जाने से शुरु हुआ। ताजमहल को रात मे खोले जाने के लिये तीन साल पहले प्रशासन ने कड़ी मशक्कत की। नतीजन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ कड़ी शर्तों के साथ ताज को रात मे खोले जाने की इजाज़त दे दी। आगरा पुलिस और प्रशासन के लिये भी ये किसी चुनौती से कम नही है। सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अहम शर्त सुरक्षा को लेकर रखी थी। स्थानीय पुलिस, प्रशासन और ताज की आन्तरिक सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाली सीआईएसएफ ने इसका खाका तैयार किया। इस योजना के तहत रात के वक्त ताज खुलने पर पूर्वी गेट से दशहरा घाट और प्रचीन मन्दिर को तरफ जाने वाले रास्ते को चार घण्टे के लिये पूर्वी तरह से बन्द किये जाना शामिल है। ताज के पूर्वी गेट के पार रहने वालों के लिये हर माह रात मे पांच दिन ताज खुलना बड़ी परेशानी का सबब बन गया। जब इस योजना पर अमल शुरु किया गया तो उन चार घण्टो के दौरान दशहराघाट प्राचीन मन्दिर, हजरत अहमद बुखारी की दरगाह, अहमद बुखारी कब्रिस्तान, राजीव नगर, वासुदेव कॉलोनी, फोरेस्ट कॉलोनी, जालमा कुष्ठ आश्रम के अलावा ग्राम नगला पैमा, गढी बंगज और नगला कल्फी का आने-जाने का रास्ता पूरी तरह से बन्द होने लगा है। इन जगहो पर रहने वालों की तादाद लगभग पन्द्रह हजार है। रास्ता बन्द किये जाने से ये लोग एक बन्धक की तरह हो जाते हैं। इन इलाकों मे जाने के लिये कोई और वैकल्पिक मार्ग भी नही है। इस परेशानी को लेकर कई बार प्रभावित लोगों ने आवाज़ उठाई लेकिन कोई नतीजा नही निकला।
पिछले तीन सालों मे आगरा की पर्यटन विकास समिति और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस परेशानी को लेकर आवाज़ बुलन्द की पर हर बार सिवाय आश्वासनों के उन्हे कुछ नही मिला। समिति के अध्यक्ष एंव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैय्यद इब्राहिम जै़दी कहते है कि उन्होने पहले दिन से ही इस मामले को लेकर अधिकारियों से बात की थी। तब भी उन्हे केवल आश्वसन मिला था और आज भी हालात जैसे के तैसे है। इस समस्या के चलते कई बार हालात बड़े संगीन हो जाते है। सुरक्षा कारणों से ना तो फोर व्हीलर और ना ही टू व्हीलर इस इलाके मे नही जा सकते। यहां तक कि रिक्शा, साईकिल और पैदल व्यक्ति भी उस चार घण्टे के दौरान वहां से नही जा सकते। जैदी के नेतृत्व मे पूर्वी गेट मार्ग की जगह एक वैकल्पिक मार्ग बनाये जाने की मांग भी लम्बे समय से की जा रही है। जै़दी के मुताबिक दिन मे भी बिना पास के कोई वाहन इस रास्ते से नही गुज़र सकता। यही नही बल्कि स्कूल रिक्शा, पानी के टैंकर, दूध सप्लाई वाले वाहन या ज़रुरत की सामान ले जाने वाले अन्य वाहन भी इस इलाके मे नही आ-जा सकते। जिस वजह से कई तरह की दिक्कतें पेश आती हैं। ताजगंज निवासी रामप्रकाश बघेल के मुताबिक उस चार घण्टे के दौरान और कई बार दिन मे भी चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाने के कारण कई लोग मौत के मुंह मे भी जा चुके हैं। लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नही रेंगती।
रात मे ताज के दिदार करने वालों की संख्या अब केवल नाम मात्र की रह गयी है लेकिन इन्तज़ाम चार घण्टे के लिये ही किये जाते है। सैकंड़ो पुलिसकर्मी इस दौरान शिल्पग्राम से लेकर ताज के पूर्वी गेट तक तैनात किये जाते हैं। सुरक्षा का आलम ये होता है कि परिन्दा भी पर ना मार सके। लेकिन इस बीच पूर्वीगेट के पार रहने वाले लोग चाहें लुटे या मरे लेकिन वो इस रास्ते से पार नही जा सकते। दशहरा घाट प्राचीन मन्दिर के पुजारी बताते हैं कि कई बार तो ऐसा होता है कि इस पार के लोग अन्तिम संस्कार के लिये शव लेकर जा रहे है लेकिन रास्ता बन्द होने की वजह से उन्हे घण्टो इन्तज़ार करना पड़ता है। उनके मुताबिक आगरा प्रशासन ने बिना सोचे समझे ये रास्ता बन्द किये जाने की योजना बना ड़ाली। जिसका खामियाज़ा हम लोग भुगत रहे हैं।
आगरा प्रशासन के अधिकारी पूछे जाने पर बताते हैं कि इस समस्या पर विचार कर योजना बनाई जा रही है। जिसके तहत जल्द ही एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जायेगा जो इन लोगों की परेशानी को दूर करेगा। इस मार्ग को बनाये जाने का प्रस्ताव पास तो हो गया है लेकिन ये मार्ग कब बनेगा इसका जवाब फिलहाल इन अधिकारियों के पास नही है। यहां के जनप्रतिनिधियों के पास भी इस मामले को लेकर कोई खास जवाब नही है। स्थानीय विधायक जुल्फिकार अहमद भुट्टो हर बार परेशान लोगों को जल्द ही रास्ता बना लिये जाने का आश्वासन दे रहे हैं। पर रास्ता बनना कब शुरु होगा ये उन्हे भी नही पता। पिछले तीन साल ये मामला लगातार सुर्खीयों मे रहा है लेकिन इस परेशानी से दो-चार हो रहे लगभग पन्द्रह हज़ार लोग अभी तक उस राह की बाट जोह रहे है जो उनको नया रास्ता दिखायेगी।
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5 comments:
बहुत ही मार्मिक
धन्यवाद
kya kahu..bas dhnyabad kah sakta hu. bahot hi touching lekh hai..ek bar fir dhnyabad...
acha likha h
" great to read, nayab tajmahal ke dastan, beautifully written"
Regards
kaafi acha likha hai.
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