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Wednesday, October 29, 2008

सारी रात जले वो भी

-----चुटकी----- माना की तुम दीप जला रही हो दिवाली की खुशियाँ मना रही हो, क्या होगा उसका जरा सोचो जिसको तुम भुला रही हो, जला देना एक दीपक उसका भी तुम्हारे दीपक के साथ जले वो भी जिस तरह जलता है दिल उसका उसी तरह ता जिंदगी जले वो भी। ---गोविन्द गोयल

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