नोएड़ा। एक ख़बर...सॉरी...."मसाला" बिकने को तैयार है। झमाझम और झोली भर टीआरपी के साथ। बिल्कुल तमाशाई अंदाज़ में। लेकिन ख़रीदार चाहिए। कलेजे वाला। ये आइडिया हिट होगा इसकी गारंटी। अब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर कौन सी ख़बर है जिसके चलने से पहले ही टीआरपी का लंबा-चौड़ा सपना दिखाया जा रहा है। तो सोचिए..। दीमाग लगाइए। वैसे कुछ ख़ास बचा नहीं है। सांप की शादी। भूतों का हनीमून। मंगर पर पानी। सूरज की तपिश और दुनिया का नाश। हवन से बारिश। गप्पु नाचे-झमाझम। ये तमाम तमाशे पहले ही हो चुके हैं। तांत्रिकों का पाखंड। रत्नों का खेल तमाम तमाशे इस देश की जनता ने देख लिए हैं। ख़बरों को टटोलने वाले हाथ रिमोट के बटन एक-एक कर कितनी ही बार दबा लें हर नई दुकान ऐसा ही पकवान परोसे बैठे हैं। ऐसे में नया क्या है? ज़ाहिर है सवाल बेहद मुश्किल है। लेकिन एक कमाल का आइडिया एक बेहद आम और डाउन मार्केट दर्शक की जुबां ने उगला है। वो कहता है कि कोई चैनल अपने स्टूडियो में बंदर का नाच क्यों नहीं दिखा देता? मदारी के साथ बंदर का नाच..। वो भी लाइव। मजा आ जाएगा। वैसे इस डाउन मार्केट वियूवर के विचार गौर करन लायक हैं। ज़रा सोचिए...। हममें से कितने लोग आज बंदर के साथ है।
(राजेश चौहान)
साभार-CNNi
1 comment:
news channel me news ke alava sab hota hai
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