Wednesday, October 29, 2008
आज होगी उनकी दिवाली
नारदमुनि रात से ही व्यस्त थे। लक्ष्मी की गतिविधियों की जानकारी प्रभु तक पहुंचानी थी। लक्ष्मी चंचल यहाँ जा, वहां जा। जिसके बरसी खूब बरसी, जिनके यहाँ नहीं गई तो नहीं गई। नारदमुनि ने देखा कि लक्ष्मी माँ तो झूठे, मक्कार,सटोरिये,भ्रष्ट नेता अफसर, कर्मचारी, बेईमानों के यहाँ इस प्रकार जा रही थी जैसे वे उनके मायके के हों। ये सब के सब पुरी शानो-शौकत के साथ लक्ष्मी जी का स्वागत सत्कार करने में लगे थे। नारदमुनि इनके खारों के बाहर खड़े इंतजार करते रहे । लक्ष्मी जी की अधिकांश कृपा ऐसे लोगों पर ही हुई। अब लक्ष्मी जी थक गईं। उन्होंने उल्लू से कहा कि वह बाकी के काम निपटा के क्षीर सागर आकर रिपोर्ट करे। अब उल्लू तो उल्लू है उसने वही किया जो उल्लू करता है। इन सब काम में सुबह हो गई। नारदमुनि प्रभु की ओर प्रस्थान कर रहे है। रस्ते में हर गली में उन्हें चिथडों के सामान कपड़े पहने हुए बच्चे गली में बिखरे पटाखों के कूडे में कुछ तलाश करते दिखे। नारदमुनि ने सोचा कि नगर के अधिकांश बच्चे तो सो रहें हैं। ये कूडे में कुछ तलास कर रहें हैं। नारदमुनि ने पूछ लिया। बच्चे कहने लगे, साधू बाबा हम तो पटाखे खोज रहें हैं। शहर की हर गली में इस प्रकार कूडे में बहुत सारे पटाखे मिल जायेंगे, जितने ज्यादा पटाखे मिलेंगे उतनी ही अच्छी हमारी दिवाली होगी। क्योंकि हमारे पास खरीदने के लिए तो रूपये तो होते नहीं सो हम तो इसी प्रकार दिवाली की रात के बाद पटाखे की तलाश कूडे में करते हैं। नारदमुनि क्या करता, उसके पास कोई जवाब भी नही था। सच ही तो है। देश में करोड़ों लोग अपनी दिवाली इसी प्रकार ऐसे लोगो की झूठन से अपने त्यौहार मानते हैं जिनके यहाँ लक्ष्मी शान से आती जाती है। नारदमुनि ने सारा हाल जाकर प्रभु को सुना दिया। प्रभु जी सुनकर मुस्कुराते रहे, जैसे हमारे नेता औरअफसर लोगों की समस्याओं को दुःख को सुनकर मुस्कुराया करते हैं। नारायण नारायण
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1 comment:
उनके साथ हमारी भी दीवाली आज ही मनी है । पर सही लिखा है आपने ।
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