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Wednesday, October 15, 2008

"इल्जाम ले लो"

"इल्जाम ले लो"
ज़ब्त से कुछ काम ले लो, ख़ुद पे यह इल्जाम ले लो...
जिसका डर था हो न जाए, उसको अपने नाम ले लो...
कुछ नशा है उखडा उखडा, आओ हम से जाम ले लो ...
गिर न जाएं देखना तुम , अपने हाथों थाम ले लो...
नाम मेरा क्या करोगी , आशिके बदनाम ले लो "

4 comments:

makrand said...

नाम मेरा क्या करोगी ,
आशिके बदनाम ले लो "

bahut kuhb
regards

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

nahi hai koi bhee hamdard bad kar aankho se
jab ek roti hai to dusari bhee rotu hai

Bandmru said...

bahut khub.........lajwab

adil farsi said...

ऐक अच्छी गजल के लिये बधाई...
उसके चेहरे मे थी जो कशिश क्या हुई
क्यु बहार आज गुलशन में आती नही

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