कब से तुझे निहार रहा हूँ ,
चंचल सुंदर मुख मंडल ,
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
यह वो ही तो दिन है
जब मैने मांग भरी तुम्हारी ,
गजरा ये सुख की बेला
मैं तब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ,
आ जाओ अब चैन नहीं है
सुख देता दिन रैन नही है ,
जीवन सफल करो तुम आ कर
कह दूँगा साकार रहा हूँ ,
मैं तेरा जन्म जन्म का प्रेमी
तेरा सुखमय प्यार रहा हूँ ..."
Monday, October 20, 2008
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6 comments:
कब से तुझे निहार रहा हूँ ,
चंचल सुंदर मुख मंडल ,
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
simplly great
needling of regular words creating better impact
u got natural sense to difine
regards
प्यार का सुंदर एहसास
ham khuda ke kabhee kayal hee na the,unko dekha to khuda yad aaya.
har bar kee tarah aapke bhavon kee rachana lajwab hai. hindi me tippani likhani nahi aati
आ जाओ अब चैन नहीं है
सुख देता दिन रैन नही है
kya baat hai bahut badiya.
mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi visit karen.
shivraj gujar
जीवन सफल करो तुम आ कर
कह दूँगा साकार रहा हूँ ,
मैं तेरा जन्म जन्म का प्रेमी
तेरा सुखमय प्यार रहा हूँ ..."
man ko bha gaya........ bahut khub.
कब से तुझे निहार रहा हूँ ,
चंचल सुंदर मुख मंडल ,
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
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