Friday, October 31, 2008
नारदमुनि ख़बर लाये हैं
देश,काल, धर्म, वक्त,परिस्थितियां कैसी भी हों एक दूसरे को गिफ्ट देने से आपस में प्यार बढ़ता है। यह बात माँ द्वारा अपने लाडले के गाल पर चुम्बन लेने से लेकर जरदारी का अमेरिका की उस से हाथ मिलाने तक सब पर एक सामान लागू होती है। जब सब ऐसा करते कराते हैं तो पत्रकारों ने क्या बुरा किया है। ऐसा ही सोचकर एक नेता ने पत्रकारों को गिफ्ट पैक बड़े स्टाइल से भिजवाए। ये पैक उनका छोटा भाई और उनका पी आर ओ कम प्रवक्ता कम खबरिया लेकर गए। पैक में एक डिब्बा काजू कतली का और एक शगुन वाला लिफाफा। लिफाफे में थी नकदी। किसी में ११०० रूपये,किसी में २१०० रूपये किसी में ५१०० रूपये भी थे। नेता जी की नजरों में जो जैसा था उसके लिए वैसा ही गिफ्ट। अब कईयों ने इसको स्वीकार कर लिया और कईयों ने वापिस लौटा दिया। सबके अपने अपने विवेक, इस लिए सबने अपनी ओर से ठीक ही किया। कोई इसको सही बता रहा है कोई ग़लत। दोनों सही है। नेता जी के पास फिल्ड में रहने वाले पत्रकारों से हाथ मिलाने का इस से अच्छा मौका और हो भी क्या सकता था। मालिक लोगों के पास तो बड़े बड़े विज्ञापन पहुँच जाते हैं। ऐसे में पत्रकारों ने लिफाफे लेकर अच्छा किया या नहीं किया, इस बारे में नारदमुनि क्यों कुछ कहे। नारदमुनि तो ख़ुद पत्रकारों से डरता है।
Wednesday, October 29, 2008
सारी रात जले वो भी
-----चुटकी-----
माना की तुम दीप जला रही हो
दिवाली की खुशियाँ मना रही हो,
क्या होगा उसका जरा सोचो
जिसको तुम भुला रही हो,
जला देना एक दीपक उसका भी
तुम्हारे दीपक के साथ जले वो भी
जिस तरह जलता है दिल उसका
उसी तरह ता जिंदगी जले वो भी।
---गोविन्द गोयल
आज होगी उनकी दिवाली
नारदमुनि रात से ही व्यस्त थे। लक्ष्मी की गतिविधियों की जानकारी प्रभु तक पहुंचानी थी। लक्ष्मी चंचल यहाँ जा, वहां जा। जिसके बरसी खूब बरसी, जिनके यहाँ नहीं गई तो नहीं गई। नारदमुनि ने देखा कि लक्ष्मी माँ तो झूठे, मक्कार,सटोरिये,भ्रष्ट नेता अफसर, कर्मचारी, बेईमानों के यहाँ इस प्रकार जा रही थी जैसे वे उनके मायके के हों। ये सब के सब पुरी शानो-शौकत के साथ लक्ष्मी जी का स्वागत सत्कार करने में लगे थे। नारदमुनि इनके खारों के बाहर खड़े इंतजार करते रहे । लक्ष्मी जी की अधिकांश कृपा ऐसे लोगों पर ही हुई। अब लक्ष्मी जी थक गईं। उन्होंने उल्लू से कहा कि वह बाकी के काम निपटा के क्षीर सागर आकर रिपोर्ट करे। अब उल्लू तो उल्लू है उसने वही किया जो उल्लू करता है। इन सब काम में सुबह हो गई। नारदमुनि प्रभु की ओर प्रस्थान कर रहे है। रस्ते में हर गली में उन्हें चिथडों के सामान कपड़े पहने हुए बच्चे गली में बिखरे पटाखों के कूडे में कुछ तलाश करते दिखे। नारदमुनि ने सोचा कि नगर के अधिकांश बच्चे तो सो रहें हैं। ये कूडे में कुछ तलास कर रहें हैं। नारदमुनि ने पूछ लिया। बच्चे कहने लगे, साधू बाबा हम तो पटाखे खोज रहें हैं। शहर की हर गली में इस प्रकार कूडे में बहुत सारे पटाखे मिल जायेंगे, जितने ज्यादा पटाखे मिलेंगे उतनी ही अच्छी हमारी दिवाली होगी। क्योंकि हमारे पास खरीदने के लिए तो रूपये तो होते नहीं सो हम तो इसी प्रकार दिवाली की रात के बाद पटाखे की तलाश कूडे में करते हैं। नारदमुनि क्या करता, उसके पास कोई जवाब भी नही था। सच ही तो है। देश में करोड़ों लोग अपनी दिवाली इसी प्रकार ऐसे लोगो की झूठन से अपने त्यौहार मानते हैं जिनके यहाँ लक्ष्मी शान से आती जाती है। नारदमुनि ने सारा हाल जाकर प्रभु को सुना दिया। प्रभु जी सुनकर मुस्कुराते रहे, जैसे हमारे नेता औरअफसर लोगों की समस्याओं को दुःख को सुनकर मुस्कुराया करते हैं। नारायण नारायण
Monday, October 27, 2008
भज ले नारायण का नाम
---- चुटकी---
भज ले नारायण का नाम
नारद, नारायण का नाम,
भज ले नारायण का नाम
नारद नारायण का नाम।
-----
मनमोहन जी टिके हुए हैं
बिना किए कुछ काम,
उनकी जुबां पर रहता है
बस इक मैडम का नाम।
भज ले नारायण का नाम....
-----
पीएम पद का चिंतन करते
लगता नहीं है ध्यान,
आडवाणी के ख्वाब में आए
इक मोदी का नाम,
भज ले नारायण का नाम....
-----
चुनाव आए तो नेता सारे
झुक झुक करे सलाम,
उसके बाद वही नेता जी
दुत्कारे सुबह और शाम।
भज मन नारायण का नाम॥
----
महंगाई की बात करे जो
वो बालक नादान
शेयरों के दाम गिर रहे
सेंसेक्स पड़ा धडाम ।
भज मन नारायण का नाम...
-----
धर्मनिरपेक्ष है वही देश में
जो ले अल्लाह का नाम,
साम्प्रदायिक है हर वो बन्दा
जो भजता राम ही राम।
भज मन नारायण का नाम....
---- गोविन्द गोयल
Saturday, October 25, 2008
टीआरपी के लिये नया तमाशा
नोएड़ा। एक ख़बर...सॉरी...."मसाला" बिकने को तैयार है। झमाझम और झोली भर टीआरपी के साथ। बिल्कुल तमाशाई अंदाज़ में। लेकिन ख़रीदार चाहिए। कलेजे वाला। ये आइडिया हिट होगा इसकी गारंटी। अब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर कौन सी ख़बर है जिसके चलने से पहले ही टीआरपी का लंबा-चौड़ा सपना दिखाया जा रहा है। तो सोचिए..। दीमाग लगाइए। वैसे कुछ ख़ास बचा नहीं है। सांप की शादी। भूतों का हनीमून। मंगर पर पानी। सूरज की तपिश और दुनिया का नाश। हवन से बारिश। गप्पु नाचे-झमाझम। ये तमाम तमाशे पहले ही हो चुके हैं। तांत्रिकों का पाखंड। रत्नों का खेल तमाम तमाशे इस देश की जनता ने देख लिए हैं। ख़बरों को टटोलने वाले हाथ रिमोट के बटन एक-एक कर कितनी ही बार दबा लें हर नई दुकान ऐसा ही पकवान परोसे बैठे हैं। ऐसे में नया क्या है? ज़ाहिर है सवाल बेहद मुश्किल है। लेकिन एक कमाल का आइडिया एक बेहद आम और डाउन मार्केट दर्शक की जुबां ने उगला है। वो कहता है कि कोई चैनल अपने स्टूडियो में बंदर का नाच क्यों नहीं दिखा देता? मदारी के साथ बंदर का नाच..। वो भी लाइव। मजा आ जाएगा। वैसे इस डाउन मार्केट वियूवर के विचार गौर करन लायक हैं। ज़रा सोचिए...। हममें से कितने लोग आज बंदर के साथ है।
(राजेश चौहान)
साभार-CNNi
Friday, October 24, 2008
चंदा मामा के यहाँ यान
---- चुटकी-----
चंदा मामा के यहाँ
गया है अपना यान,
शेयर बाज़ार चढेगा
घटेंगें राशन के दाम।
----
सरकार की तरह
मस्त रहो जनाब,
पेट भरे ना भरे
देखते रहो ख्वाब।
----
चैनलों पर देखिये
राजनीति के रंग,
नेताओं के नाटक देख
लोग रह गए दंग।
----
जितनी जल्दी हो सके
सुरक्षित घर को भाग
सबके अपने स्वार्थ हैं
कौन बुझाये आग।
---गोविन्द गोयल
Thursday, October 23, 2008
चाँद पर जाने की बात
---- चुटकी----
न्यूज़ चैनलों
पर छाया रहा
राज नीति का उत्पात,
भूल गए सब
चाँद पर
जाने की बात।
---गोविन्द गोयल
Tuesday, October 21, 2008
बिकने से क्या बचेगा
----- चुटकी-----
बार बालाओं को
दिख जायें नोट
नेता को नजर आए
खूब सारे वोट,
उनके हाथ से
क्या क्या बिकेगा
इस बारे में तू
कुछ भी ना सोच।
---गोविन्द गोयल
Monday, October 20, 2008
"सुखमय प्यार "
कब से तुझे निहार रहा हूँ ,
चंचल सुंदर मुख मंडल ,
अपने से मैं हार रहा हूँ .....
यह वो ही तो दिन है
जब मैने मांग भरी तुम्हारी ,
गजरा ये सुख की बेला
मैं तब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ,
आ जाओ अब चैन नहीं है
सुख देता दिन रैन नही है ,
जीवन सफल करो तुम आ कर
कह दूँगा साकार रहा हूँ ,
मैं तेरा जन्म जन्म का प्रेमी
तेरा सुखमय प्यार रहा हूँ ..."
जो कुछ है आडवानी है
---- चुटकी----
बीजेपी की
ये नई कहानी है,
अटल गायब है
इसलिए जो कुछ है
वह बस आडवानी है।
----गोविन्द गोयल
Sunday, October 19, 2008
लिखे का महत्व अधिक
न्यूज़ चैनल कितना भी कुछ कर लें वे न्यूज़ पेपर जितना महत्व प्राप्त नहीं कर
सकते। ये बात एक दम सच्ची है। अगर ऐसा ना होता तो न्यूज़ चैनल की दुनिया के जाने माने राजदीप सरदेसाई न्यूज़ पेपर में लेख क्यों लिखते। उन्हीं को समर्पित है ये चुटकी।
---- चुटकी----
न्यूज़ चैनल से
न्यूज़ पेपर का
अधिक महत्व है भाई,
तभी तो न्यूज़ पेपर
में लेख लिखतें है
राजदीप सरदेसाई।
---गोविन्द गोयल
Saturday, October 18, 2008
दाल रोटी महंगी सस्ता टी वी फोन
---- चुटकी----
दल रोटी महंगी
सस्ता टी वी फोन,
ये तरक्की कैसी
बतलायेगा कौन।
-----
चीनी तेल के भाइयो
पल पल बड़ते दाम,
दो वक्त की रोटी भी
हो गई आज हराम।
----
सेंसेक्स नीचे गिरा
सड़क पर आ गए लोग,
बेशर्म हमारे नेता
फ़िर भी सत्ता रहे हैं भोग।
---गोविन्द गोयल
Friday, October 17, 2008
सुहागिनों के हाथ में तलवार
अब वो जमाना नहीं रहा जब सुहागिनें करवा चौथ का व्रत केवल घर की चारदीवारी में ही चाँद के इंतजार करते करते पूरा कर लेती थीं। आज कल सुहागिनें मेक अप करके घर बैठने की बजाये मस्ती करती हैं। वह भी एक साथ। अगर विश्वास नहीं हो तो विडियो देख लो। इस में सुहागिने हाथ में तलवार लेकर कैट वाक कर रहीं हैं। इतना भी क्यों वे फ्लाइंग किश तक करती दिखेंगीं। यह श्रीगंगानगर का नजारा है किसी महानगर का नहीं। भारत पाक सीमा पर रहतें हैं तो क्या हुआ,आधुनिक से आधुनिक तौर तरीके तो किसी भी पर्व पर इस्तेमाल किए ही जा सकते हैं। पर्व पुराना है तो क्या हुआ हम तो नए ज़माने में जन्मी हैं।
करवा चौथ की बधाई
संसार की सभी सुहागिन ब्लोगर्नियों को आज के दिन की मुबारक बाद। मुबारक बाद इसलिए कि आज उनका दिन है। वे अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करतीं है। पति रहेगा तभी तो वे सज संवर सकेंगी। सुहागिन कहलाएँगीं। मतलब ये कि पति की आड़ में अपने लिए सब कुछ मांग रहीं हैं। है ना ऐसी ही बात। चलो ये तो हुई मजाक की बात। असल में तो हिंदुस्तान की नारी अपने आप में एक संस्कृति है, समर्पण की प्रतिमूर्ति है,धरती के समान सहनशील है। आदमी तो केवल मकान बनाता है,घर का रूप उसे महिला ही प्रदान करती है। कभी पत्नी के रूप में तो कभी माँ,बहिन और बेटी के रूप में। साल भर में ना जाने कितने व्रत वह रखती है। कभी पति देव के लिए और कभी अपने बाल गोपाल के लिए। उस के ख़ुद के लिए कोई व्रत है ही नहीं। वह मकान को घर बनाने में इतना रम जाती है कि अपना वजूद तक भूल जाती है। किसी ने क्या खूब कहा है---" सारी उम्र गुजारी यूँ ही, रिश्तों की तुरपाई में,दिल का रिश्ता सच्चा रिश्ता बाकी सब बेमानी लिख।" " इश्क मोहब्बत बहुत लिखा है,लैला-मंजनू राँझा हीर,मां की ममता प्यार बहिन का इन लफ्जों के मानी लिख। "
Thursday, October 16, 2008
एक प्रयास बच्चों द्वारा सबके लिए..........
सभी ब्लॉगर भाइयों को बंडमरु का नमस्कार । पढने और पढाने वालो के लिए एक विशेष सूचना
आरा, भोजपुर , बिहार की एक अग्रणी संस्था यवनिका एक अनोखी बाल पत्रिका का प्रकाशन करने जा रही है। ये बाल पत्रिका इस मायने में अनोखी होगी की इसमे संपादन से लेकर रिपोर्टिंग तक का कार्य बच्चें ही करेंगे । सामान्य तौर पर हम बड़े आपने विचारों को बच्चों पर थोप देते हैं। वर्तमान की सारी बाल पत्रिकाएं इसी लिक पर चलती हैं, पर ये बाल पत्रिका बच्चों की नज़र से इस दुनिया को देखने की एक कोशिश हैं। ये पत्रिका बच्चों में पारम्परिक अध्ययन के अलावा लिखने, पढने, और सोचने की महत्वाकांक्षा को विकसित करने का एक प्रयास है। जैसा की नाम से ही प्रतीत होगा। इस पत्रिका का नाम है- '' आईना ''साक्षात्कार समाज का।
इतना ही नही यवनिका संस्था बच्चों को लेकर एक प्रोग्राम कराती है '' भोजपुर बाल महोत्सव '' जो इसी माह से शुरू होगा । इस कार्यक्रम में जिले से लगभग ७०००-८००० बच्चें भाग लेते हैं । पिछले ५ वर्षो में ये कार्यक्रम भोजपुर जिले में अपनी अलग पहचान बच्चों के बीच बना चुकी है। बच्चों को आपके आशीर्वाद और हमको आपके सहयोग की आवश्य्कता है।
जल्दी मिलते है इस पत्रिका के पहले अंक के साथ ...... इसी जगह.............. तब तक इंतजार कीजिए .....................
साजन -सजनी का संवाद
करवा चौथ का व्रत है। सजनी के साजन प्रदेश में है। ऐसे में वह इन्टरनेट पर अपने साजन का मुखड़ा देख कर अपना व्रत खोलती है। इस मौके पर उनके बीच कुछ संवाद होता है। यही संवाद है तीन चुटकियों में।
----- चुटकी-----
सजनी के प्यारे सजना
रहते हैं प्रदेश,
सजनी ने खोला व्रत
मुखडा इन्टरनेट पर देख।
--------
सजनी के प्यारे सजना ने
भेजा है संदेश
तुम्हारे लिए मैं क्या लाऊं
दे दो ई मेल आदेश।
----
साजन की प्यारी सजनी ने
भेज दिया संदेश,
रुखी सूखी खा लेंगे
आ जाओ अपने देश।
----गोविन्द गोयल
मेक अप में उलझी रही
----- चुटकी-----
करवा चौथ का
रखा व्रत,
कई सौ रूपये
कर दिए खर्च,
मेक अप में
उलझी रही,
घर से
भूखा चला गया मर्द।
----गोविन्द गोयल
Wednesday, October 15, 2008
"इल्जाम ले लो"
राजनीति में काठ की हांडी
----- चुटकी----
नीति को निकाल
दिया,राज को
बना लिया बांदी,
राजनीति में ही
बार बार चढ़ती
है काठ की हांडी।
-----गोविन्द गोयल
Tuesday, October 14, 2008
आतंकवाद की फसल
---- चुटकी-----
हमने एकता,सदभाव
और भाईचारे का
पौधा तो लगाया था,
लेकिन उसमें जातिवाद
और स्वार्थ का
कीड़ा लग गया
यही वजह है कि
हम आतंकवाद की
फसल काट रहें हैं।
----गोविन्द गोयल
Monday, October 13, 2008
गोविन्द गोयल की चुटकी
----- चुटकी-----
सरकार नकारा
जन जन लाचार,
किसके आगे
करे पुकार।
------------------------
---- चुटकी------
रोज जाए तू देवालय
वहां घंटे बजाये
मन मन के,
ईश्वर तुझको
कैसे मिले
बंद द्वार तेरे मन के।
----गोविन्द गोयल
Sunday, October 12, 2008
गोविन्द गोयल की चुटकी
----- चुटकी-----
हे! प्रधानमंत्री जी
अब तो सम्भाल लो,
या फ़िर जो थोड़ा
बहुत दम बचा है
वो भी निकाल लो।
----गोविन्द गोयल
------ चुटकी-----
ये जो महान
देश हमारा है,
वह आजकल
अर्थशास्त्री का मारा है।
----गोविन्द गोयल
-----चुटकी------
बस करार के लिए
बेकरार है
अपनी सरकार,
उसके लिए तो
भाड़ में जाए
शेयर बाज़ार।
---- गोविन्द गोयल
Saturday, October 11, 2008
गोविन्द गोयल की चुटकी
----- चुटकी-----
महंगाई आकाश पर
शेयर बाज़ार धरा पर ,
प्यारे मनमोहन
बैठे बैठे कुछ तो करा कर।
----- गोविन्द गोयल
-----चुटकी-----
श्रीराम को दो गालियाँ
और बन जाओ महान,
सरकार खुश होगी
आपको मिलेगा ईनाम।
-----गोविन्द गोयल
Friday, October 10, 2008
लाखों रावण बाकी हैं
----- चुटकी----
एक रावण जला दिया
लाखों बाकी हैं सरकार,
उसको मारा राम ने
कौन करे इनका संहार।
----- गोविन्द गोयल
----- चुटकी -----
अधर्म पर धर्म की जीत
अधर्म पर धर्म की जीत,
ऐ सुनो, इस दौर में
कौन गा रहा है
ऐसे उलटे सीधे गीत।
-----गोविन्द गोयल
Thursday, October 9, 2008
अर्थशास्त्र में हो गए फेल
----- चुटकी------
निवेशकों का
बिगाड़ दिया
सारा खेल,
अर्थशास्त्री पी एम
अर्थशास्त्र में हो गए
बिल्कुल फेल।
----गोविन्द गोयल
Tuesday, October 7, 2008
मंगल को अमंगल
आज अभी ठीक से दिन की शुरुआत भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस के पूर्व जिला प्रवक्ता के निधन का समाचार मिला। साथ में यह सूचना कि उनकी बॉडी सरकारी हॉस्पिटल की मोर्चरी में है। यहाँ बॉडी पोस्ट मार्टम के लिए ही होती है। इस से पहले की पुरी बात मालूम होती दूसरी ख़बर यह मिली कि दो बसों की टक्कर में कई लोग मारे गए। अनेक घायल हो गए। हॉस्पिटल पहुँचा, वहां के हालत जैसे होने थे वैसे ही थे। पांच व्यक्ति मर चुके थे और १५ घायल हॉस्पिटल में थे। मरने वालों के अंग भंग हो चुके थे। उनकी पहचान करके बॉडी उनके परिजनों को दी जारही थी। हर कोई यह कह रहा था कि मंगल को अमंगल हो गया। किसी ने कहा कि पहले नवरात्रों को जोधपुर में हादसा हुआ और आठम को श्रीगंगानगर में। कोई नवरात्रों को भारी बता रहा था किसी ने मंगल को भारी बताया। लेकिन हॉस्पिटल में सबसे अधिक चर्चा कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता की मौत की थी। उनके एक साथी ने धीरे से बताया कि आत्महत्या की है। उनके ही एक दुसरे साथी ने भी यही बताया। वही उनको रात हॉस्पिटल लेकर गए थे। मरने वाले की पत्नी मोर्चरी में आई डॉक्टर ने उसकी तस्सली करवाई की सच मुच उनकी मौत हो गई है। बाद में एक ने फोन करके कहा कि सबको यही कहना है कि मौत हार्ट फ़ेल होने से हुई। इसमे कर भी क्या सकता है। तुलसीबाबा ने सही लिखा है --होई है वही जो राम रची राखा.....
लेडिज टेलर
यह चुटकी मेरे मोहल्ले में दुकान करने वाले लेडिज टेलर को समर्पित है। उन्ही को काम करते देख कर मैं इस चुटकी को बजाने में सफल रहा।
----चुटकी----
अंग अंग का
ले रहा है नाप,
लेडिज टेलर है
कर दो माफ़।
----गोविन्द गोयल
नैनो के लिए लाइन
---- चुटकी----
नैनो से नैना
लड़ाने के लिए
लगी हुई है लाइन,
देखना है टाटा किसको
करते है टाटा और
किसको करते हैं साइन।
----गोविन्द गोयल
Monday, October 6, 2008
दलालों के चंगुल में
----- चुटकी------
क्षमा करना प्रभु जी
पूछ रहा हूँ स खेद ,
आपके यहाँ भी
क्यों होता है
छोटे बड़े का भेद।
---प्रभु का जवाब
कान खोल कर सुन लो
ऐ बालक नादान जी
दलालों के चंगुल में है
अब तो भगवान भी ।
----गोविन्द गोयल
Sunday, October 5, 2008
ब्लोगर की दुनिया
दैनिक भास्कर के आज के रसरंग में "ब्लॉग के बहाने" टाइटल से एक आलेख प्रकाशित हुआ है। यह रसरंग की टीम की और से है। सुबह से इस इंतजार में था कि ब्लॉग की दुनिया में बड़े बड़े धांसू ब्लोगिये हैं कोई ना कोई तो इसको कहीं तो पोस्ट करेगा ही। सबसे अधिक उम्मीद भड़ास पर थी। लेकिन अब जब यह नहीं दिखा तो यह सब करना पड़ा। इस लेख के अनुसार दुनिया में फिलहाल ६ करोड़ ब्लॉग सक्रिय हैं। हर दिन शुरू होने वाले ब्लॉग की संख्या १७५००० है। अर्थात हर सेकंड में दो नए ब्लॉग। एक सेकंड में १८ ब्लॉग सक्रिय होतें हैं। जापानी भाषा में ३७% और अंग्रेजी में ३३% ब्लॉग है। लेख में बताया गया है कि २००७ की पहली छमाही खत्म होने तक २० करोड़ लोग भूतपूर्व ब्लोगर हो चुके थे।जरा आप करमवीर सिंह के बारे में जान लीजिये । यह आदमी २०० वेबसाईट/ब्लॉग चलाते हैं। लेखक टीम कहती है कि ब्लॉग जगत में दाखिल होना तो बहुत आसान है, पर ख़ुद को टिकाये रख पाना थोड़ा मुश्किल। इस में अमिताभ बच्चन ब्लोग्स डॉट बिग अड्डा डॉट कॉम /एबी ,निर्देशक राम गोपाल वर्मा का- आरजीवीब्लोग्स.ब्लागस्पाट.कॉम । इसी प्रकार आमिर खान के ब्लॉग का नाम है-डबल्यू डबल्यू डबल्यू.आमिरखान .कॉम/ब्लॉग.एच टी एम्। लेख में बिपासा बसु, नाना पाटेकर, सलमान खान के ब्लॉग के नाम भी है। इस बड़े लेख में ब्लॉग और ब्लोगर के बारे में बहुत जानकारी हैं। टीम इस के लिए बधाई की पात्र है। हम तो वैसे भी सारे संसार के कल्याण की बात करते हैं तो इस टीम की तो करेंगें ही। [ दैनिक भास्कर से साभार हैं इस पोस्ट में दी गई जानकारी.]
अपनी अक्ल लगाओ
-----चुटकी-----
दिखावे पर मत जाओ
अपनी अक्ल लगाओ
बाकी सब बकवास,
आतंकवादी हैं
हमारे नेताओं के खास।
---गोविन्द गोयल
कुत्ता उड़ाए माल
Saturday, October 4, 2008
धर्म कर्म के नाम पर
-----चुटकियाँ----
धर्मगुरु के सामने
पकवानों के ढेर
बाप तडफता रोटी को
समय का देखो फेर,
धर्म कर्म के नाम पर
दोनों हाथ लुटाए
दरवाजे पर खड़ा भिखारी
लेकिन भूखा जाए,
कोई कहे कर्मों का
फल है,कोई कहे तकदीर
राजा का बेटा राजा है
फ़कीर का बेटा फ़कीर,
चलती चक्की देखकर
अब रोता नहीं कबीर
दो पाटन के बीच में
अब केवल पिसे गरीब,
लंगर हमने लगा दिए
उसमे जीमे कई हजार
भूखे को रोटी नहीं
ये कैसा धर्माचार।
------गोविन्द गोयल
Friday, October 3, 2008
फैशन के अंदाज
---- चुटकी----
फैशन के भी
देखो लफड़े
कपड़े हैं
फ़िर भी
बिन कपड़े,
चमके फीगर
दिखे कटाव
ये कैसा फैशन
ये कैसा चाव,
भाई की शर्म न
बाप का लिहाज
कलयुग में आया
ये कैसा रिवाज।
----गोविन्द गोयल
Thursday, October 2, 2008
गाँधी जी के पद चिन्हों पर चल
---- चुटकी----
गाँधी जी के पद चिन्हों
पर चल प्यारे
दूसरा गाल भी पड़ौसी
के आगे कर प्यारे,
अहिंसा परमो धर्म है
रटना तू प्यारे
एक तमाचा और
पड़ौसी जब मारे,
ये बटेर हाथ में तेरे
फ़िर नहीं आनी है
लगे हाथ तू
देश का सौदा कर प्यारे।
-----गोविन्द गोयल
Wednesday, October 1, 2008
"कभी आ कर रुला जाते"
"कभी आ कर रुला जाते"
दिल की उजड़ी हुई बस्ती,कभी आ कर बसा जाते
कुछ बेचैन मेरी हस्ती , कभी आ कर बहला जाते...
युगों का फासला झेला , ऐसे एक उम्मीद को लेकर ,
रात भर आँखें हैं जगती . कभी आ कर सुला जाते ...
दुनिया के सितम ऐसे , उस पर मंजिल नही कोई ,
ख़ुद की बेहाली पे तरसती , कभी आ कर सजा जाते ...
तेरी यादों की खामोशी , और ये बेजार मेरा दामन,
बेजुबानी है मुझको डसती , कभी आ कर बुला जाते...
वीराना, मीलों भर सुखा , मेरी पलकों मे बसता है ,
बनजर हो के राह तकती , कभी आ कर रुला जाते.........
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