Friday, November 30, 2007
रंगकर्मी पर भी 20-20
इंड़ियन क्रिकेट लीग (ICL) की 20-20 के साथ ही रंगकर्मी के सदस्यों की संख्या भी 20 हो गयी। आज रंगकर्मी के बीसवें सदस्य के रुप मे दिल्ली के करुणा शंकर शर्मा आये हैं। इसके साथ ही रंगकर्मी से जुड़ने वालों की संख्या निरन्तर बढती जा रही है। रंगकर्मी परिवार अपने सभी नये साथियों का स्वागत कर रहा है। सभी साथियों से उम्मीद है कि वो अपनी पोस्ट के ज़रीये रंगकर्मी पर बेहतर जानकारियां और विचार प्रकाशित करेगें। इसी विश्वास के साथ............
परवेज़ सागर
मायावती जी ये लोकतंत्र है मायातंत्र नहीं, संभल जाओ
वाराणसी। जिला मुख्यालय पर बसपा विधायक व पुलिस की ज्यादतियों के विरोध में मंगलवार को मुख्यमंत्री का पुतला दहन व विरोध प्रदर्शन कर रहे मीडियाकर्मियों को फिर लाठी खानी पड़ी। इतना ही नहीं कैंट थाने में पांच दर्जन से अधिक पत्रकारों के खिलाफ पुलिस व अन्य लोगों द्वारा मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। पुलिस व विधायक द्वारा सोमवार को किए गए बलप्रयोग के खिलाफ जिला मुख्यालय पर दर्जनों पत्रकार एकत्र हुए। मुख्यमंत्री का पुतला लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में चक्रमण करते हुए नारेबाजी की। वहां से सभी लोग बाहर आए व पुतला दहन करने लगे। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने पुतला छीनने का प्रयास किया। पुतला छीनने में विफल होने पर तिलमिलाए पुलिसकर्मियों ने पत्रकारों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई। कई लोगों के कैमरे टूट गए। आधा दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गए। तत्काल उनको मलदहिया स्थित एक निजी नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। एक मीडियाकर्मी की हालत गंभीर है। जानकारी होते ही भाजपा विधायक श्यामदेव राय चौधरी, अजय राय, राकेश सिंह अलगू, प्रेम कपूर अधिवक्ता अरुण त्रिपाठी समेत अन्य लोग पहुंच गए। पुलिसिया ज्यादती से गुस्साए मीडियाकर्मियों ने वहां फिर से तीन-चार पुतला दहन किया। इसी के साथ ही कठिरावं बाजार में एकत्र ग्रामीण पत्रकारों ने पुलिस व मुख्यमंत्री का पुतला जलाया। जागृति फाउंडेशन के तत्वाधान में पुष्कर तालाब के समीप पत्रकारों व समाजसेवियों ने बसपा विधायक शेर बहादुर सिंह का पुतला फूंका। वहीं इस मामले में न्यूज चैनल आज तक के पत्रकार गरुण मिश्रा ने कैंट थाने में अंबेडकर नगर जनपद के बसपा विधायक शेर बहादुर सिंह, सीओ कैंट संसार सिंह, इंसपेक्टर इंद्रजीत चतुर्वेदी, डा. पवन सिंह व उसकी दूसरी पत्नी अर्चना सिंह के खिलाफ लूट, जान से मारने की धमकी व मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया है। उधर इंसपेक्टर कैंट, पांडेयपुर चौकी इंचार्ज व अन्य दो लोगों ने कैंट थाने में सपा विधायक समद अंसारी, विजय जायसवाल समेत पांच दर्जन से अधिक मीडियाकर्मियों के खिलाफ थाने में घुसकर मारपीट, सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाना, जान से मारने की धमकी व 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
तुलिका सिंह
सीएनईबी न्यूज़
ज़िंदगी
दिन ढले, एक ज़िंदगी का टुकडा
अपने कांधे उठाए एक गठ्रा
सुस्त कदम चला आता
बैठ पास कई सवाल उठता
कभी दिल का हाल बंटाता
क्यों कोई तनहा समझाता
क्यों उलझने बतलाता
जाने के नाम, धीमे से मुस्का
अपना गठरा सर उठा
ज़िंदगी यही, सीखा जाता....
कीर्ती वैदया
Thursday, November 29, 2007
वाह ये तो कमाल है...... ज़रा देखो तो.........
मेरे एक मित्र ने ये सारी तस्वीरें मेल की है। दरअसल इन्हे देखकर कोई यकीन नही कर सकता कि यहां तस्वीरों मे दिख रही सारी पेन्टिंग किसी कलाकार ने हाथ पर ही बनाई है। ये कहां की कलाकारी है इस बारे में जांच कर रहा हुँ। अगर आप को पता हो तो पोस्ट पर बतायें। बहरहाल सभी साथियों के लिये कुछ तस्वीरें यहां पर ड़ाल रहा हुँ देखीये और कलाकार की तारीफ किजीये............
परवेज़ सागर
Wednesday, November 28, 2007
थोड़ा सा हंस लो
मिसेज बंता सिंह ने पति बंता सिंह की पिटाई कर दी। मामला अदालत में गया, तो उसने रो-रो कर माफी मांग ली और जज ने भी उसे समझाइश देते हुए बग़ैर सजा के छोड़ दिया। अगले दिन पता चला कि मिसेज बंता सिंह ने फिर पति की पिटाई कर दी। जज ने दुबारा पिटाई का कारण पूछा, तो मिसेज बंता सिंह ने बताया- घर पहुंचते ही बंता सिंह फिर मुझ से झगड़ने लगे। मैंने सब कुछ सहन कर लिया। लेकिन जब उन्होंने कहा कि जज बेवकूफ था, जिसने तुम्हें बग़ैर सजा के छोड़ दिया, तो मुझ से अदालत की तौहीन बर्दाश्त नहीं हुई और..।
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बंटी के अंग्रेजी में जीरो आने पर संता राय ने उससे पूछा, बेटा ऐसा कैसे हो गया, बाकी विषयों में इतने अच्छे नंबर, पर अंग्रेजी में जीरो। बहुत शर्म की बात है। क्या कुछ भी नहीं लिखा तुमने? पुत्र बंटी, लिखा तो था, पर पापा पेपर में एक सवाल था, जिसका एक उदाहरण देना था। मैंने दिया। लेकिन लगता है कॉपी निरीक्षक को मेरा उत्तर जंचा नहीं होगा।संता राय ने पूछा, बेटा ऐसा कौन सा सवाल था वह? बंटी ने बताया, पापा, उन्होंने चुनौती का एक उदाहरण पूछा था। मैंने पूरी कॉपी खाली छोड़कर, अंत में लिख दिया था- यदि दम हो, तो पास करके दिखाएं।
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संता सिंह कैदी साथी बंता भाई कैदी से कह रहा था, शक्लें भी खूब धोखा देती हैं। एक बार तो कुछ लोग मुझे डैनी समझ बैठे। बंता भाई ने कहा, सही कह रहे हो। बहुत पहले की बात है, मेरे साथ भी ऐसा हुआ। एक बार मैं दूर-दराज के गांव गया, तो गांव वाले मुझे चौधरी चरण सिंह समझ बैठे थे।संता सिंह बोला, अरे ये तो कुछ भी नहीं। जब मैं चौथी बार जेल पहुंचा, तो जेलर बोला, हे भगवान! तू फिर आ गया।
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एक दिन अचानक एक रॉन्ग नंबर लग जाने पर संता मनचला अजनबी गर्ल से बोला, डार्लिग, तुम तो मेर दिल में उतर आओ।अजनबी गर्ल बोली, सैंडिल उतारूं क्या?संता मनचला, अरे छोड़ो, ये कोई मंदिर नहीं है, ऐसे ही आ जाओ।
----------------------------------------------------------------------------------------------- संता देवू ने पत्नी बंता प्रीतो से पूछा, अगर मैं मर गया, तो क्या तुम दूसरी शादी करोगी?बंता प्रीतो बोली, नहीं! मैं अपनी बहन के साथ ही रह लूंगी। लेकिन यदि मैं मर गई, तो तुम दूसरी शादी करोगे?
बंता देवू, नहीं! मैं भी तुम्हारी बहन के साथ ही रह लूंगा।
Tuesday, November 27, 2007
मीड़िया की दो ख़बरें आशीष के ब्लॉग से
चन्द्रभान सोलंकी ने छोडा स्टार का साथ
चन्द्रभान सोलंकी स्टार न्यूज़ का साथ छोड़ कर आज तक ज्वाइन कर रहे हैं. चन्द्रभान सोलंकी स्टार न्यूज़ के दिल्ली ऑफिस से पहले मुम्बई में थे. श्री सोलंकी माखनलाल चतुर्वेदी भोपाल विश्वविद्यालय, भोपाल से पासआउट हैं.
जनवरी में एक और नया न्यूज़ चैनल
गुवाहाटी बेस मीडिया कम्पनी Positiv TV एक नेशनल लेवल का एक न्यूज़ चैनल लाने वाली हैं. इस चैनल का नाम फोकस होगा. यह हिन्दी और अंग्रेजी में होगा. कहा जा रहा है कि अगले साल २६ जनवरी को यह चैनल लांच हो जाएगा. इसका मुख्यालय नॉएडा में और ब्यूरो पूरे देश में होगा.
इलेक्ट्रानिक मीडिया में भूकंप
सोमवार की सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 थी, जो ख़तरे के लिहाज़ से अधिक नहीं मानी जाती है। खुदा का शुक्र था कि कुछ भी नुक़सान नहीं हुआ। लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया में इसकी तीव्रता काफ़ी अधिक दिखी। आमतौर पर 6 बजे सुबह से लाइव बुलेटिन की शुरुआत करने वाले ख़बरिया चैनलों में आज पांच बजे का बुलेटिन भी लाइव था। फिर शुरू हुआ, जनता के फ़ोन कॉल्स के आमंत्रण का चिर-परिचित सिलसिला और वही घिसे-पिटे सवाल मसलन जब भूकंप आया तो आप उस वक्त आपने कैसा महसूस किया, आपने फिर क्या किया, आपको कैसा लगा, आप उस वक्त क्या कर रहे थे, जाहिर है लोग घरों से बाहर निकल आए होंगे, फिर उसके बाद क्या हुआ आदि- आदि। ऐसे-ऐसे सवाल जिन्हें सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। ऐसे सवाल जो खुद में जवाब हैं। पर ऐंकर करे क्या, उन्हें तो टाइम पास करना है। प्रतिक्रया देने वाले बदल रहे थे, ऐंकर वही, सवाल भी वही। साफ़ नज़र आ रहा था कि उनके पास इन्फॉर्मेशन कम है लिहाज़ा एक ही बात को रिपीट करने के सिवा कोई चारा नहीं। कुछ देर तक मौसम वैज्ञानिक से संपर्क स्थापित हो चुका था, रिसर्च भी हो चुकी थी। तब तक इसका एपिसेंटर और तीव्रता भी पता चल चुकी थी। अब तक तो काफ़ी मटेरियल हो चुका था उनके पास एक घंटे खाने के लिए। लगभग सारे शीर्षस्थ चैनल इसे जमकर भुनाने में लगे थे। सच भी है क्या पता अगला भूकंप कब आए। कई चैनलों के ऐंकर तो बार-बार मौसम वैज्ञानिक से एक ही सवाल दोहरा रहे थे या यू कहें कहलवा लेना चाह रहे थे कि वो किसी भी तरह से अगले भूकंप की भविष्यवाणी कर दे। बहरहाल, उन्होंने ऐसा नहीं किया। अंग्रेजी चैनलों मे भी ख़बर थी, लेकिन वो जनता से प्रतिक्रिया नहीं मांग रहे थे, शायद उनका दर्शकवर्ग प्रतिक्रया देने में समर्थ नहीं है या उन्हें प्रतिक्रिया की ज़रूरत नहीं, भगवान जाने। शायद ख़बरों को भुनाने के लिए उतावलेपन की कमी ही वो बड़ी चीज़ है जो अंग्रेजी चैनलों को हिंदी ख़बरिया चैनलों से जुदा करती है। समझ में नहीं आता वो दर्शकों को अपनी ओर खींचने के ऐसे मौके छोंड़ देते हैं फिर भी जनता में उनकी क्रेडिबिलिटी कहीं अधिक है। आखिर हम कब इस बात को समझेंगे कि दर्शकों को अपनी ओर खींचने की कोशिश तो ज़रूरी है। लेकिन उसके और भी तरीके हैं।
अमित मिश्रा
सीएनईबी
अरुण होगें यूटीवी न्यूज़ के सीईओ
देश का जाना-माना प्रोड़क्शन हॉउस यूटीवी भी अपना न्यूज़ चैलन लेकर आ रहा है। जानकारों के मुताबिक ये एक बिज़नेस न्यूज चैनल होगा। एक मीड़िया वेवसाईट पर इसकी जानकारी उपलब्ध है। उसी को यहां पोस्ट कर रहा हुँ। ताकि साथियों के काम आ सके।
UTV News appoints ET’s Arun Anant as CEO
UTV News might not be making any official announcements, but it is working fervently on fructifying its structure. The organisation has appointed Arun Anant as CEO. Anant, who was at The Economic Times prior to this as Vice-President, has already assumed his new responsibilities. In his new role, Anant would be steering the channel, and working on beefing up all its functions.
UTV News has already been steadily adding people to its team, beginning with Govindraj Ethiraj as Editor of the channel. UTV News is expected to be an English business news channel. Details on the targeted launch date, the channel’s target or USP are not available as yet.
The industry has been rife with rumours of UTV being in talks with an international partner to associate on this venture. One of the names reported was that of Walt Disney-owned company American Broadcasting Corporation (ABC) News. However, subsequently, Walt Disney Co denied any such talks. UTV itself is mum on the subject, not making even a single announcement on this news venture.
UTV officials didn’t offer any comments at the time of filing this report. The English news channels space in India is not as cluttered as the Hindi news space has become. At present, there are only four Indian players, and two international players in this domain. The business space has even lesser clutter with only two English business news channels at present.
साभार- Exchange4media.com
Monday, November 26, 2007
प्रो. पुष्पेन्द्र पाल सिंह को विशेष अकादमी अवार्ड
पिछले दिनों जालंधर में पंजाब कला साहित्य अकादमी की तरफ से आयोजित 11वां वार्षिक अकादमी अवार्ड वितरण समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी भोपाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख प्रो. पुष्पेन्द्र पाल सिंह को विशेष अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया. श्री सिंह को यह अवार्ड पत्रकारिता में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए मिला. श्री सिंह के अलावा कई हस्तियों को भी इस अवार्ड से नवाजा गया. इनमें डॉ. संजीव कुकरेजा जालंधर, डॉ. जीडी शर्मा, योगा विभाग हिमाचल प्रदेश, कुमारी सारिका, कटोच युवा विभाग हिमाचल प्रदेश, विजय शायर, प्रोड्यूसर दूरदर्शन केन्द्र, व्यंग्य लेखक कृष्ण लाल गर्ग, संवाददाता पंकज, रचना गुप्ता, नंदिनी मित्तल, आकाशवाणी शिमला प्रमुख थे. विशिष्ट अकादमी अवार्ड साहित्कार व जीएनडीयू के प्रो. डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी को दिया गया. जबकि प्रबंधन अवार्ड डीके शर्मा को मिला. शहर की गुरू नानक देव जिला लाइब्रेरी में आयोजित इस समारोह में देशभर से साहित्यकार और पत्रकार शामिल हुए.
आपके सुझावों और जानकारी का स्वागत, मेल करें
"रंगकर्मी" की सार्थकता के लिये आप सभी साथियों के सुझाव ज़रुरी है। आप सभी ऐसी जानकारी ज़रुर दें जिससे बेरोज़गार साथियों को काम का मौका मिल सके। हम ऐसी जानकारी को रंगकर्मी के ज़रीये लोगों तक पंहुचायेगें। इसके अलावा पत्रकारिता या अन्य क्षेत्रों मे हो रही हलचल की जानकारी भी आप हमें दे सकते है। आपसे नाटकों की समीक्षा, नई कहानियां और रोचक ख़बरें भी आमंत्रित हैं। आप यहां लिखने के साथ-साथ हमें ईमेल भी कर सकते हैं।
हमारा ईमेल आईड़ी है:- humrangkarmi@gmail.com
परवेज़ सागर
ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के..............
"ले मशालें चल पड़ें हैं लोग मेरे गांव के, अब अन्धेरा जीत लेगें लोग मेरे गांव के" जनगीत की शक्ल मे गाऐ जाने वाली ये पंक्तियां हमारे लिये सार्थक रुप लेती जा रही हैं। हमारे इस काफिले मे कई नये साथी जुड़ रहे है। पहले सभी नये साथियों का स्वागत।
मैं एक बात सभी साथियों से कहना चाहता हुँ कि "रंगकर्मी" एक ऐसा मंच है जहां आप सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। आप सभी यहां पर रंगमंच ही नही बल्कि पत्रकारिता और सामाजिक मुद्दों पर लिख सकते हैं। सभी से एक अनुरोध और करना है कि जो लोग हिन्दी मे टाईप करना जानतें है वो सभी हिन्दी मे ही ब्लाग लिखने की कोशिश करें।
पत्रकारिता के क्षेत्र मे कदम रखने वाले नये साथियों को अगर किसी तरह की समस्या हो तो वो लोग भी इस ब्लाग पर बता सकतें है। हम और हमारे साथ जुड़ें कई वरिष्ठ पत्रकार साथी उनकी मदद करने की कोशिश करेगें। और अगर आपके पास कोई नई जानकारी या सुझाव हो तो उसे भी बतायें। आप हमें humrangkarmi@gmail.com पर मेल कर सकते है।
बाकी बातें बाद मे.............
परवेज़ सागर
http://www.rangkarmi.blogspot.com/
humrangkarmi@gmail.com
Sunday, November 25, 2007
indian protest against climate change
hi friends i am posting the link of indian site for protesting climate change.that is http://www.indianprotestagainstclimatechange.org/
its not an ngo or any thing like its a kind of manch or stage for youth having sprit of bhagat sing bose azad to come and do some work on the issue so that when you were dying u be hsaving santosh that u did something for your country,now the indian protest is having friends in 76 countries.
and they all knew that indians are not like others and today at india gate indian protest is done by the younger genration of india,along with indian group the other countries particepeted are england,belgium that its a mission of xpressing our anger so this manch was made and is made to protest against the biggest culprit of earth america
america i hate most and i feel very happy in doing @$%6 of america
15 days ago my younger cousin went to america for study he called me one night saying dada i am feeling home sick what i do now so i said beta do baar america ki jameen par thuko thoda laat bhi jameen per maaro or ho sake to do teen americi ko gali do tumhe accha lagega .
he is happy now.
by
whatever you do will be insignificant,but it is very important that you do it-mahatma gandhi
Whatever you do will be insignificant, but it is very important that you do it.
Mahatma Gandhi
To morrow will be going a day of Indian protest against the climate change and protest against those who are real culprits of enviourment.
Oue earth is dying and our mother nature is taking last breath
and its true as all the leading scientist has been saying from last decade that earth is on the process of destruction as till 2035 there will be no more glaciers of himalya’s
‘the great himalaya often said as the extreme
It gave water to billions
it gave food to billions
it gave job to billions
it gave sheer happiness though for moments but it gives smile to millions
it gave joy to the people as drinking water right from gangotri to Calcutta
in other words Himalaya in the form of ganga river gives every thing to humanity but what we we did we almost has warmed earth and killed our mother nature
Just by digging the earth
Cutting the forests
by killing the beautiful creatures species of the world not only through gun but also with emitting gases .
We already knew by various researches done by eminent scientist community that global warming is real, it’s already happening, and that it is the result of our activities and not a natural occurrence. The evidence is overwhelming and undeniable.
I knew being an Indian I emit and so my fellow indians about .25 ppm of co2 ton each in a year and we Indians are approx 20 % of worlds population but emitting co2 only unto 4% and usa which is only 4% of worlds population and emits about 25% of co2 as a whole and as per American the figure is 5 ton ppm of co2 emission per year.
So when the talks started of binding targets to reduce the emissions in the form of Kyoto America rejected the Kyoto saying that as global warming is not happening and Kyoto is not taking India and china under cutting of emission.
The Kyoto Protocol is an agreement under which industrialized countries will reduce their collective emissions of greenhouse gases by 5.2% compared to the year 1990 .
The goal is to lower overall emissions of six greenhouse gases - carbon dioxide, methane, nitrous oxide, sulfur hexafluoride, HFCs, and PFCs - calculated as an average over the five-year period of 2008-12
National limitations range from 8% reductions for the European Union and some others to 7% for the US, 6% for Japan, 0% for Russia, and permitted increases of 8% for Australia and 10% for Iceland.
petition
We the undersigned demand that the USA,
and other who really are the slow killers of the climate or develop countries
demonstrate climate leadership by starting to unblock international progress
on an effective international emissions reductions treaty with binding targets.
so
We demand that the treaty ratified by all countries goes beyond gesture politics.
We urgently need to do what needs to be done to safeguard all future life, rather than trying to get away with what we can.
The USA, along with other long industrialized countries, must acknowledge that they owe a "carbon debt" to the rest of the world and they should help other countries to develop their technology to cope up with green house emission cutting technology.
Why the some developed countries are not thinking that they owe to developing countries everything
They should further accept responsibility for the adaptive measures that other countries with limited resources are forced to make in order to cope with the climate impacts that their emissions have disproportionately been responsible for.
We are with the earth for the earth we don’t want to give our childrens ruins of nature or may be nothing but ecept burning earth.
Please save the world save yourself
.
Thanks and jai hind
It’s anurag amitabh
Saturday, November 24, 2007
Thanks anurag sir for inviting me Rangkarmi
hello amitabh sir thanks for inviting me on rangkarmi,
i am proud to be a student of allahbad university,
about whom famous as oxford of india,
i always wanted to participate in the blog which may be according to my nature my belief,
and rangkarm alone the word satisfied me to happly accept the invitation and having honour to be a member of team which is having person like you.
i read a post which says that rangkarnm is different in what sense its also having bhadaas type of post,
with honour to the post writer i think that every bhadaas is rang karm only because the person who is having the power of showing anger in words than the bhadaas must having some part of truth so for me every bhadaas is a miror of truth in some sense.
amitabh sir at present i am doing survey in gujrat for yashwant sir,
earlier i had gone to gujrat in anand,godhara,dahod ,mehsana,kheda,sabarkantha,ahamdabad
and i find that still there progress and devlopment is not the factor of election still main issue is anti secularism,
sir cvoters missing you.
jai hind sir
your comrade
purnendu shukla
researcher
cvoters
Thursday, November 22, 2007
टीवी की दुनिया मे मिलेगा रोज़गार का मौका
टीवी की दुनिया से जुड़े लोगों के लिये एक अच्छी ख़बर है। चाहे वो न्यूज़ चैनल हो या मनोरंजन चैनल। सरकार ने देश मे कई बड़े चैनल्स को लाईसेंस देने का मन बना लिया है। इसमे कुछ विदेशी चैनल्स के नाम भी शामिल है। अगर इतने चैनल शुरु होंगें तो कई लोगों को रोज़गार मिलने की उम्मीद है। इस बारे मे "ओड़ियन्समैटरड़ॉटकॉम" नाम की वैबसाईट पर तफ्सील दी गयी है जिसके मुख्य अंश यहां डाल रहा हुँ।
255 TV CHANNELS ALLOWED UPLINKING
The Ministry of Information & Broadcasting has permitted 149 news & current affairs TV channels and 106 non-news & current affairs TV channels to uplink from India, as on 15.11.2007. Five (5) TV channels, uplinked from abroad, have also been permitted to downlink in India. In addition to this, 52 TV channels, uplinked from abroad, have been provisionally permitted to downlink in India. The permissions are for operation on an all-India basis and are not State-wise.Out of the total 255 channels permitted to uplink from India, 123 channels have Indian ownership whereas 132 have varying components of foreign equity in the parent company. Out of the total 57 TV channels uplinked from abroad and permitted to downlink in India, 2 TV channels have Indian equity whereas the remaining 55 TV channels have foreign equity.The Ministry is considering the proposed draft of the Broadcasting Services Regulation Bill. The said Bill is still at drafting stage and is under consultation with States/UTs and other stakeholders. No time frame can be given for finalization of the said Bill as consultation is on-going process.This information was given by Shri P.R. Dasmunsi, Minister for Information and Broadcasting & Parliamentary Affairs in a written reply to a question in the Parliament today.
साभारः audiencematters.com
परवेज़ सागर
धन्यवाद आशीष जी
आशीष जी अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद । लेकिन मेरा मानना है कि जहां से पहल की जाए वहीं से सही . हम आज नये पत्रकार है कल के दिन हम ही सिनियर होंगे तो कम से कम हमारे दौर के लोग ही इस परंपरा को तोड़े । हम तोड़ भी सकते है बस जरूरत है हमें सही मार्ग दर्शन की । इस पूरे महकमें में काश कोई भी एक बड़े पत्रकार हो जो नई पीढ़ी की इस आवाज की अगुवाई करे तो शायद हमें एक नई दिशा मिल सकें।
Wednesday, November 21, 2007
सभी के लिये है रंगकर्मी
प्रिय अंकित, मैं आपको बताना चाहता हुँ कि रंगकर्मी को एक साझा मंच बनाने की कोशिश की गयी है खासकर उन लोगों के लिये जो रंगकर्म से जुड़े रहे पर अब पत्रकारिता को अपना पेशा बना चुके है। हमारे कई साथी ऐसे है जिन्होने लम्बे लमय तक रंगमंच के लिये काम किया और बाद मे वो लोग पत्रकारिता से जुडे़। राजधानी और आस-पास के शहरों मे ऐसे पत्रकारों की एक लम्बी फेहरिस्त है जो थियेटर से जुड़े है या जुड़े रहे। बस उन सभी लोगों को एकजुट करने की कवायद है रंगकर्मी। लेकिन इसका मतलब ये नही कि केवल वो ही लोग इससे जुड़ सकते है। हमारे दूसरे ब्लाग भड़ास पर कई लोग ऐसे है जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है लेकिन वो लोग भड़ास पर लगातार अपनी रायशुमारी कर रहे है और वो भी अलग-अलग मसलों पर। हम जल्द ही रंगकर्मी पर नाटकों की समीक्षा और थियेटर से जुड़े कई पहलुओं पर काम शुरु कर रहे है।
परवेज़ सागर
Tuesday, November 20, 2007
ब्रेकिंग न्यूज़ - कभी फोनो, कभी लाईव
उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड़ पर आज फैसला आना था। हम सभी सुबह करीब दस बजे से अदालत के बाहर डेरा डाले हुये थे। आज बड़ी संख्या मे इतने सारे कैमरा और मीड़िया वाले एक साथ नज़र आ रहे थे। वहां से आने-जाने वाले हर शख्स की आँखें एक ही सवाल कर रही थी कि यहां क्या हो रहा है? कोई कोई कह रहा था कि शायद किसी फिल्मी हस्ती की आमद होगी तो किसी का अन्दाज़ा था कि कोई भाई अदालत मे हाजरी के लिये आ रहा है। खैर जितने लोग उतनी बातें।
अदालत परिसर के बाहर एक लाईन मे सभी कैमरावालों के ट्राईपोड़ लगाये गये थे। कई चैनलस् ने एक नही चार-चार संवाददाता और दो-दो ओबी कवरेज के लिये अदालत भेजी थी। वही पुराना मकसद ख़बर को सबसे पहले ब्रेक करना। अदालत मे लोगों की भीड़ बढती जा रही थी, आरोपी और वादी भी अदालत मे आ गये थे। और लगभग ड़ेढ घण्टे बाद वो लम्हा आ ही गया। दस साल के लम्बे इन्तज़ार के बाद उपहार सिनेमा अग्नि काण्ड मे आखिरकार फैसला आ गया। खचाखच भरी अदालत मे जज साहब ने इस मामले के एक दर्जन आरोपियों को दोषी करार दिया।
अदालत का फैंसला आते ही हम और हमारे मीड़िया के सभी साथी एक्टिव हो गये। ख़बर मिलते ही शुरु हुआ लाईव देने का सिलसिला। हम और हमारे सारे साथी एक दम व्यस्त हो गये। फिर शुरु हुआ पीड़ितों के परिवार वालों की बाइट लेने का दौर। सारे मीड़िया वाले पीड़ितों के घर वालों को इधर से उधर खींच रहे थे। मारा-मारी का माहौल था। लाईव पर लाईव चल रहा था। फोन की रिंग रुकने का नाम नही ले रही थी। कभी फोनो-कभी लाईव। कुछ लोग बाकायदा टीवी पर बाइट देने के लिये तैयार होकर आये थे। ये सजे संवरे लोग वकीलों के साथ ही मीड़िया के आस-पास घूमते नज़र आ रहे थे।
इन सब बातों के बाद सबसे अहम बात ये थी कि इस फैसले से पीड़ितों के परिजन पूरी तरह सन्तुष्ट नही थे। अधिकांश लोग इस बात से हैरान थे कि दस लोगों को आईपीसी की धारा 304 के तहत मुजरिम करार दिया गया लेकिन दो मुख्य आरोपियों को 304ए के तहत मुजरिम करार दिया गया। अब पीड़ित और उनके वकील इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे है। कुछ लोगों का कहना है इस मामले मे अभी तो दस साल लगे है। लेकिन हम न्याय पाने के लिये आगे भी कई साल लड़ने के लिये तैयार है।
फैसला आने के बाद करीब तीन घण्टे हम लोग सिर्फ बाइट और लाईव के चक्कर मे लगे रहे। मामला शान्त हुआ और सभी लोगों ने अपना सामान समेटना शुरु किया। काम खत्म होने के बाद सभी को थोड़ी राहत महसूस हुई।
परवेज़ सागर
Monday, November 19, 2007
पैसा नही, दुआऐं चाहिये नीरज के परिवार को
सहारनपुर के टीवी पत्रकार नीरज चौधरी के निधन के बाद कई तरह के सुझाव हमारे साथियों की तरफ से आये। इसी क्रम मे सहारनपुर से आज तक के संवाददाता अनिल जी की तरफ से एक अच्छा सुझाव आया है। हमें उम्मीद है इस सुझाव पर हमारे सभी साथी सहमत होगें। भडास का संचालन करने वाले हमारे वरिष्ठ साथी यशवंत भाई ने इस सुझाव का समर्थन पहले ही भड़ास पर जता दिया है। इस बारे मे आप लोग भड़ास देख सकते है। अनिल जी ने अपना जो सुझाव दिया है। उसके मुख्य अंश यहां साथियों के लिये ड़ाल रहा हुँ।
"भड़ास पर पढ़ने के बाद मेने नीरज के परिवार से इस विषय में बात कि तो उन्होने कहा कि वह उन सभी लोगो का धन्यवाद करते है जिन्होंने इस विषय में सोचा, उन्होने कहा कि उन्हें आर्थिक सहायता कि नही उन्हें सिर्फ दुआओं कि आवश्यकता है। यशवंत भाई मैं आपके विचारों कि क़द्र करता हूँ और आपसे अनुरोध करता हूँ कि जो सिलसिला नीरज भाई के नाम से शुरू हुआ है, उसे नीरज कोष का नाम देते हुए यह राशी किसी जरूरतमंद कि सहायता में लगा दें। यही नीरज को हम सभी कि और से सच्ची श्रधांजलि होगी। मेरी और से भी नीरज कोष के जरिये किसी गरीब कि मदद के लिए १००० रूपये किस अकाउंट में जमा करने है बता दीजयेगा । मेरा मोबाइल नम्बर है 9412232433यशवंत भाई भड़ास पर जहाँ भी नीरज के परिवार कि आर्थिक सहायता के विषय में लिखा है वह कृपया कर हटा दें। यह उसके परिवार वालों कि इच्छा है।"
परवेज़ सागर
Saturday, November 17, 2007
मीडिया का कड़वा सच
दूर कहीं छोटेसे शहर में बैठा हर इसांन जो जुड़ना चाहता है खबरो कि दुनिया से आज के इस दौर में उसकी पहली पसंद होती है न्यूज़ चैनल . हर कोई रिपोर्टर और एंकर बनने का ख्वाब देखता है । उस वक्त ज़हन में सिर्फ एक ही बात होती है हमें मौका मिले तो सही दुनिया बदल कर रख देगें । औऱ अपने सपनो को पूरा करने के लिए चले आते है इन ख़बरो के बाजार वाले शहर में । जहां आकड़ो पर नजर डाले तो तकरीबन हर साल 6 से 7 हजार लोग दुनिया बदलने का दावा करके इस बाजार में उतरते हैं औऱ उनके भावनाओं को हवा देने के लिए मोटी रकम में यहां हर नुक्कड़ पर एक खबरो की दुकान दूर से ही नज़र आ जाएगी । लेकिन बाजार में उतरने के साथ हर पल सामना होने लगता है मिडिया के उन पहलूओ से जिनसे हर नया इंसान होता है बेखबर जब तक वो इनसे रूबरू होता है तब तक काफई कुछ हाथ से निकल चुका होता है । जहां तक मेरा अनुभन है मैने हर दुसरे नये पज्ञकार की जुबान से सिर्फ एक ही बात सुनी है काश मेरा भी कोई रिश्तेदार नातेदार होता तो मैं भी इस चैनल में होता और तो और अगर कोई नहीं है घर को तो कोई प्रभावशाली नेता से ही जान पहचान होती तो काम बन जाता । क्या खबरो की दुनिया से जुड़ने वाली नईपीढ़ी को बैसाखी का सहारा ले कर आगे जाना पड़ेगा । ख़बर कम और रोजी रोटी की चिंता ज्यादा करना पड़े गा । अगर जिंदगी के मुताबिक जरुरत ही ना पुरी होगी तो कोई भी दूसरो की तकलीफ कैसे पहचानेगा, जब तक वो खुद तकलीफ से जूझ रहा हो । मिडिया मैं कोई ऐसी संस्थआ जरूर होनी चाहिए जो इन सारी बुनियादी चिजो पर नजर रख सके । जहां हर नया पत्रकार बिना किसी डर के अपनी बात कह सके । नहीं तो अभी हालात इतने बिगड़े हुए है मसलन जहां लड़को को नौकरी के लिए महिनो किसी ना किसी के चक्कर लगाने पड़ते और लड़कियो को नौकरी के लिए वो हर कुछ सुनना पड़ता है जो उन्हे पसंद ना हो. खबरो से ज्यादा अपराध की तरफ बढ़ाने में कारगर होता जा रहा है वो बहुत ही भाग्यशाली लोग होते है जिन्हे बिना इन सबसे गुजरे इसमें प्रवेश मिलता है । मेरी गुजारिश है हर उन बड़े सिनियर पत्रकारो से कि इस बात को नज़रअंदाज न करे औऱ आने वाली पिढ़ी के लिए एक मापदंड तय करे और उन पर नजर भी रखे नहीं तो अपराध तो बढ़ेगा ही और खबरो की दुनिया का जबवा जो बाकी क्षेत्रों में है उस पर भी असर पड़ेगा।
तुलिका सिंह ,CNEB NEWS
Wednesday, November 14, 2007
लो फिर आ गयी भड़ास
भड़ास के दोबारा शुरु हो जाने पर सभी भड़ासीयों को शुभकामनाऐं। खासतौर पर यशवंत भाई को जिन्होने भड़ासियों को पुन: ये ब्लाग दे दिया। अब आप हमारे कई साथी जो भड़ास के बन्द हो जाने से निराश थे, वो खुश नज़र आयेंगें। उम्मीद है आप सभी लोग भड़ास के साथ-साथ रंगकर्मी को भी अपने विचारों से सुशोभित करेंगें।
परवेज़ सागर
www.rangkarmi.blogspot.com
Saturday, November 3, 2007
अंकित और यशवंत जी को ढेरों शुभकामनाऐं
हमारे पुराने साथी अंकित माथुर ने कुंवारों की मंड़ली से इस्तीफा दे दिया है। अभी हाल ही मे वो ज़िन्दगीभर के लिये बेड़ियों मे जकड़े गये है। उनके साथ ये हादसा अपने शहर सहारनपुर मे ही पेश आया। अंकित को बांधने वाली हमारी भाभीजान भी सहारनपुर से ताल्लुक रखती है। माथुर जी इस नयी ज़िन्दगी के लिये ढेरों शुभकामनायें।
भड़ास के ज़रीये हिन्दी ब्लाग को नयी दिशा देने वाले हमारे साथी यशवंत सिंह जी ने नयी जगह नयी ज़िम्मेदारी सम्भाली है। इसके लिये उन्हे शुभकामनायें। उम्मीद है यशवंत भाई कामयाबी के नये रास्ते पर आगे बढते रहेगें। इसी उम्मीद के साथ आपका...................
परवेज़ सागर
Friday, November 2, 2007
Return of Cheap Thrills on News channels
Years later, the cheap thrills make a comeback – and how! Switch your television on, and browse through all the Hindi news channels. You will know what I mean. A few days back, on India Television, the only news that was doing the rounds was Sanjay Dutt’s release. Nothing wrong with that – but what would you say if the news headline read Munnabhai ki Rihai? Watching this piece is virtually a blow-by-blow (pun very deliberately intended) account of how Sanjay Dutt couldn’t sleep at night, what the weather inside the jail is like, how people are thronging at Pune to welcome their hero (who has been convicted under the Arms act, but who cares).
The reporters even asked some of the fans to sing for Sanju Baba – and they obliged with their bhaktiful renditions of pedestrian bhajans for Sanjay Dutt. You can't get more sickeningly servile than that!
साभार - news web
आज तक को अलविदा, सीएनईबी से नाता
बहुत दिन बाद लिख रहा हूँ। दरअसल इस बीच वक्त ही नहीं मिल पाया। साढे चार साल तक "आज तक" के साथ काम किया। इस बीच ज़िन्दगी ने कई सबक सिखाये। कुछ अच्छे तो कुछ बुरे। बहुत कुछ था जो यहां सीखने को मिला। सबसे अहम ये कि दिल्ली मे काम करने वाले लोगों को समझने का अनुभव। जो शायद अभी भी पूरा नही हो पाया। खैर इस मुद्दे पर बात करुगां तो दूर तक चली जायेगी। बस कहना चाहूँगा उन लोगों के बारे मे जिन्होने मुझे हमेशा सही रास्ता दिखाया और निराश होने पर मुझे प्रोत्साहित किया। यहां उनके बारे मे जितना लिखूँ कम है। वो हैं श्री जे पी दीवान और श्री राजेश बादल।
"आज तक" को अलविदा कहने के बाद मैने CNEB NEWS चैनल मे काम शुरु किया है। नया चैनल, नया ओहदा और नयी ज़िम्मेदारी इन दिनों थोड़ा व्यस्त चल रहा हूँ। एक अच्छी टीम बनाने की कवायद मे जुटा हूँ। कोशिश जारी है। काम थोड़ा सा मुश्किल है क्योंकि अधिकतर लोग यहां पर फ्रेशर है। जल्द ही ये अलग तरह का न्यूज़ चैनल आप लोगों के सामने होगा। ये चैनल भूत प्रेत नाग नागिन और अश्लीलता दिखाने के बजाय खबरें दिखायेगा। उम्मीद है सबको पसन्द आयेगा। अब लिखना बन्द कर रहा हूँ। बाकी बाते बाद मे होगीं।
परवेज़ सागर
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